कोरबा/ प्लास्टिक पॉल्यूशन” की थीम पर कार्यशाला का आयोजन दुनिया में उत्पादित होने वाला हर प्लास्टिक आज भी मौजूद हैं? प्लास्टिक का अविष्कार सैकड़ों साल पहले हुआ था और जो प्लास्टिक पैदा हों रहा हैं पूरी दुनिया के लिए एक विकट समस्या बन चुका है। प्लास्टिक प्रदूषण
के कितना खतरनाक है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि प्लास्टिक सालों-साल मिट्टी में दबे रहने के बावजूद मिट्टी का हिस्सा नहीं बन पाते, साथ ही यह पानी को जमीन के अंदर जाने से भी रोक देते हैं
। हमारे जीवन काल में
यूज क्या हुआ प्लास्टिक कभी भी खराब नहीं हो
ता तथा यह आज भी हमारी भूमि तथा महासागरों पर मौजूद हैं
प्लास्टिक को खत्म करने की कोई प्राकृतिक या कृत्रिम प्रक्रिया नहीं हैं । अतः इस वैश्विक समस्या की रोकथाम के लिए शासन के स्तर पर कुछ नीतिगत निर्णय जैसे की - सिंगल यूज प्लास्टिक पर पूर्ण प्रतिबंध एवं मौजूदा प्लास्टिक उत्पादों की रीसाइक्लिंग को प्रोत्साहित किए जानें के साथ ही आम जनमानस के बीच जागरुकता का प्रचार प्रसार किया जाना नितांत आवश्यक है ।
इस दिशा में सिपेट (सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ प्लास्टिक इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी) जैसे संस्थान महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं । उक्त विचार हसदेव ताप विद्युत गृह, कोरबा पश्चिम के वरिष्ठ रसायनज्ञ सुधीर कुमार मिश्रा द्वारा अपने पॉवर प्वाइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से अभिव्यक्त किए
गए भारत को प्लास्टिक प्रदूषण से मुक्त करने की आवश्यकता पर बल दिया है।
उन्होंने देश की जनता और खासतौर पर दुकानदारों-व्यापारियों से इस दिशा में योगदान देने की अपील की है। जिसके उपरांत प्रशोत्तरी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया तथा उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले विजेताओं को पुरस्कृत किया गया । मुख्य अभियंता ( उत्पा.)संजय शर्मा के मार्गदर्शन एवं अति.मुख्य अभि.(एस.एंड एस.सी.) पी.के स्वेन के निर्देशानुसार "बीट प्लास्टिक पॉल्यूशन" की थीम पर दिनांक 29.05.2023 को आयोजित इस कार्यशाला में संयंत्र-कर्मियों ने बड़ी संख्या में अपनी सहभागिता प्रदान करते हुए शपथ ली कि वे सिंगल यूज प्लास्टिक उत्पादों जैसे - पॉलिथीन, थर्माकोल, प्लास्टिक बॉटल, प्लास्टिक के गिफ्ट कवर आदि का इस्तेमाल बंद करेंगे तथा उनके स्थान पर झोले, सूखे पत्तल, पेपर बैग, पेपर या स्टील के गिलास, स्टील की वाटर बॉटल, कपड़े एवं जूट के बैग, कागज के गिफ्ट कवर इत्यादि का इस्तेमाल करेंगे । इस तरह इको फ्रेंडली विकल्प अपनाकर हम इस प्लास्टिक प्रदूषण की समस्या को कम कर सकते हैं ।