शिव महापुराण कथा सुनने उमड़ी हजारों की भीड़,घनश्यामाचार्य जी महाराज ने कहा,सत्संग सुनने से भगवान की प्राप्ति शिव महापुराण सुनने से समस्त पापों का नाश

Thousands of people gathered to listen to the story of Shiv Mahapuran, Ghanshyamacharya Ji Maharaj said, listening to satsang leads to attainment of God, listening to Shiv Mahapuran destroys all sins.

कोरबा/सर्व देव शिव मंदिर साडा कॉलोनी में श्री शिवमहापुराण कि कथा षष्ठम दिवस पर व्यासपीठाचार्य श्री मज्जजगतगुरु रामानुजाचार्य स्वामी घनश्यामाचार्य जी महाराज प्रयागराज महाराज श्री ने बताया कि
भगवान विष्णु के अवतार के बारे में तो सभी जानते हैं लेकिन भगवान शिव के अवतारों के बारे में बहुत कम लोग जानते होंगे और ब्रह्मा के अवतारों के बारे में तो लोग कुछ भी नहीं जानते। गुरु दत्तात्रेय तीनों ही देवताओं के अवतार थे। हालांकि अनसुईया को तीन पुत्र हुए थे जिसमें से एक पुत्र चंद्रमा थे जो कि ब्रह्मा के अवतार थे। आज हम आपको भगवान शिव के अवतारों के बारे में बताते हैं।
शिव महापुराण में भगवान शिव के अनेक अवतारों का वर्णन मिलता है। कहीं कहीं उनके 24 तो कहीं उन्नीस अवतारों के बारे में उल्लेख मिलता है। वैसे शिव के अंशावतार भी बहुत हुए हैं। हालांकि शिव के कुछ अवतार तंत्रमार्गी है तो कुछ दक्षिणमार्गी।
स्वामी घनश्यामाचार्य जी ने बताया कि शिव के दसावतार:- महाकाल तारा भुवनेश षोडष भैरव छिन्नमस्तक गिरिजा धूम्रवान बगलामुख मातंग और कमल नामक अवतार हैं। ये दसों अवतार तंत्रशास्त्र से संबंधित हैं।


शिव के अन्य 11 अवतार जिन्हें रुद्र कहते हैं: कपाली पिंगल भीम विरुपाक्ष विलोहित शास्ता अजपाद, आपिर्बुध्य शम्भू, चण्ड तथा भव।… उक्त रुद्रावतारों के कुछ शस्त्रों में भिन्न नाम भी मिलते हैं।
इन अवतारों के अलावा शिव के दुर्वासा, महेश, वृषभ, पिप्पलाद, वैश्यानाथ, द्विजेश्वर, हंसरूप, अवधूतेश्वर, भिक्षुवर्य, सुरेश्वर, ब्रह्मचारी, सुनटनतर्क, द्विज, अश्वत्थामा, किरात, नतेश्वर और हनुमान आदि अवतारों का उल्लेख भी ‘शिव पुराण’ में हुआ है जिन्हें अंशावतार माना जाता है महाराज श्री ने कहा कि भगवान शिव का छटा अवतार है शरभावतार। शरभावतार में भगवान शंकर का स्वरूप आधा मृग तथा शेष शरभ पक्षी (पुराणों में वर्णित आठ पैरों वाला जंतु जो शेर से भी शक्तिशाली था लिंगपुराण में शिव के शरभावतार की कथा है, उसके अनुसार हिरण्यकशिपु का वध करने के लिए भगवान विष्णु ने नृसिंहावतार लिया था।

हिरण्यकशिपु के वध के पश्चात भी जब भगवान नृसिंह का क्रोध शांत नहीं हुआ तो देवता शिवजी के पास पहुंचे। तब भगवान शिव ने शरभावतार लिया और वे इसी रूप में भगवान नृसिंह के पास पहुंचे तथा उनकी स्तुति की, लेकिन नृसिंह की क्रोधाग्नि शांत नहीं हुई। यह देखकर शरभ रूपी भगवान शिव अपनी पूंछ में नृसिंह को लपेटकर ले उड़े। तब कहीं जाकर भगवान नृसिंह की क्रोधाग्नि शांत हुई। तब उन्होंने शरभावतार से क्षमा याचना कर अति विनम्र भाव से उनकी स्तुति की कथा का आयोजन श्री राम चरित मानस महिला मंडल साडा कालोनी जमनीपाली द्वारा किया जा रहा है
आज की कथा में मुख्य जजमान दसरथ शर्मा , के अलावा छत्तीसगढ़ शासन के पूर्व केबिनेट मंत्री जयसिंह अग्रवाल जी कोरबा नगर निगम के महापौर राजकिशोर प्रसाद जी, भा जा पा नेता प्रदेश कार्यकारणी सदस्य विकास महतो जी, संतोष राय, पंकज प्रजापति, गोलू पांडे,जयप्रकाश अग्रवाल, बी एन सिंह,अवधेश सिंह,मुकेश राठौर ,राधेश्याम जायसवाल, प्रेम अग्रवाल,बैजनाथ अग्रवाल,विनोद अग्रवाल,गोरेलाल शर्मा,रामनरेश दुबे,अजय धनोदिया,राकेश पांडे,राजेंद्र गुप्ता,शेष्मणी तिवारी,सुबोध शुक्ला,राजेंद्र तिवारी, एस एन मिश्रा सुरेश अग्रवाल,प्रमोद शुक्ला, एस एन मुखर्जी,रमेश पिल्लई,श्रीमती बेला गायधने,श्रीमती सुनीता शुक्ला,श्रीमती ललिता अग्रवाल,श्रीमती सुमन देशमुख श्रीमती अनुराधा तिवारी,श्रीमती सुधा श्रीवास्तव,श्रीमती अन्नपूर्णा पांडे ,श्रीमती नीलम शुक्ला,श्रीमती सुनयना सिंह, श्रीमती शोभा गुप्ता,श्रीमती सरला अग्रवाल,श्रीमती सपना चोपड़ा सहित दर्री साडा कालोनी के भक्त जनों ने शिव महापुराण कथा का रस पान किया