जीत का अपना-अपना दावा,विधायकों को लेकर अटकलों की हलचल तेज है। रविवार की शाम तक नतीजे जनता के सामने होंगे,

कोरबा,02 दिसम्बर । छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव में सरकार किसकी बनेगी, इस अटकल के बीच कोरबा जिले की 4 विधानसभा सीटों पर जीतने वाले प्रत्याशी और बनने वाले विधायकों को लेकर भी अटकलों की हलचल तेज है। रविवार की शाम तक नतीजे जनता के सामने होंगे लेकिन इसके पहले हार और जीत का गुणा-भाग में समर्थकों के साथ-साथ नगरजन और विधानसभा क्षेत्रवासी भी उलझे हुए हैं। टक्कर कांटे की है, खिलाफत और विरोध भी तगड़ा है फिर भी जीत का अपना-अपना दावा है। हैरत है कि इस बार किसी की जीत राजनीतिक पंडित भी पक्की नहीं बता पा रहे हैं।

रामपुर विधानसभा क्षेत्र में फूल की लहर चली है। अब यह तो evm खुलने के बाद स्पष्ट होगा कि फूल सिंह की लहर है या फूल छाप की। रुझानों की मानें तो जिस तरह से विरोध के बाद भी फूल सिंह राठिया ने कड़ी टक्कर मौजूदा विधायक ननकीराम कंवर को दी है, और राठिया एवं कंवर समाज की बाहुल्यता वाले इस विधानसभा क्षेत्र में अंततः जो समीकरण बने उस लिहाज से कांग्रेस काबिज होती दिख रही है लेकिन कद्दावर आदिवासी नेता ननकीराम कंवर को कम आंकना भूल हो सकती है,उनकी लोकप्रियता और जुझारूपन का अलग पैमाना है जिसे जनता नकार नहीं सकती।

तानाखार में वापसी के आसार

पाली-तानाखार विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस की वापसी के आसार हैं। यहां जनपद अध्यक्ष श्रीमती दुलेश्वरी सिदार का नाम एकाएक उभरा और अंत तक मौजूदा विधायक मोहित राम अपनी टिकट फाइनल नहीं करा सके। कांग्रेस खेमे में भी मोहितराम के नाम का जमकर विरोध रहा। क्षेत्रवासियों में खास कारणों से आक्रोश दिखा तो दूसरी तरफ भाजपा ने पिछला चुनाव हारने वाले रामदयाल उइके को टिकट देकर दौड़ में शामिल दूसरे लोगों को नाराज करने का काम किया। भले यह नाराजगी सतह पर उभर कर नहीं आई लेकिन यहां संगठन कुछ ज्यादा सकारात्मक दिखा भी नहीं। गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के अध्यक्ष तुलेश्वर मरकाम ने बसपा गठबंधन के साथ सीट जीतने के लिए पूरी ताकत झोंकी है तो जोगी कांग्रेस के प्रत्याशी ने आदिवासी वोटों को बांट दिया। कांग्रेस के परंपरागत वोटों का एक बहुत बड़ा आंकड़ा इस विधानसभा में कायम है और इसे पार कर पाना या पूरी तरह से सेंध लगाना भाजपा व गोंगपा के लिए फिलहाल संभव होता नजर नहीं आ रहा। इस तरह यहां कांग्रेस का रूझान है।

0 कोरबा में अब भी 50-50

कोरबा विधानसभा में मौजूदा विधायक जयसिंह अग्रवाल का चौथा विजय रथ रोकने के लिए भाजपा हाईकमान से सीधे तौर पर पूर्व महापौर लखनलाल देवांगन को उतारा गया जिससे यहां मुकाबला तगड़ा और दिलचस्प है। कोरबा से लेकर दिल्ली तक की निगाहें इस विधानसभा पर कुछ ज्यादा ही टिकी हैं। केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह भी आकर लखन के लिए माहौल बना गए,पूर्वांचल के विधायक,यूपी के डिप्टी सीएम तक आ गए फिर भी कोरबा सीट पर इस चुनाव में भी कम मतदान दर्ज हुआ है। मतदान का कम और ज्यादा होना परिवर्तन के संकेत होते हैं लेकिन मतदाताओं के अनुसार स्थिरता भी कई बार बनी रहती है। कोरबा विधानसभा में कांग्रेस-भाजपा में से किसी एक की जीत पर चुप्पी साध ली गई है और 50-50 बताकर कांटे का मुकाबला आज भी कहा जा रहा है। कोरबा एक ऐसी सीट है जिसे लेकर पिछले चुनाव तक तो साफ कहा जाता रहा कि जयसिंह अग्रवाल को टक्कर देना अभी किसी के बूते का नहीं, लेकिन इस चुनाव में लखनलाल देवांगन ने कांटे की टक्कर दी है जिसे कांग्रेसी भी मानते हैं। दोनों ही दलों ने अपने पूर्व के अनुभवों का लाभ उठाते हुए वोटो की घेराबंदी तो तगड़ी की है लेकिन परिणाम का ऊंट किस करवट बैठेगा यह evm खुलने के बाद ही पता चलेगा। वैसे इस बात की चर्चा जमकर है कि यहां चुनाव जयसिंह वर्सेस बीजेपी का हुआ है।

0 विरोध की लहर में कौन करेगा नाव पार

कटघोरा एक ऐसी सीट रही है जहां कांग्रेस और भाजपा दोनों ही दलों के प्रत्याशियों का भरपूर विरोध चौतरफा दिखा। तमाम तरह के विरोध के बाद किसकी नैय्या पार लगेगी, यह दिलचस्प है। यहां भू विस्थापितों का भी एक बड़ा वोट बैंक है और पिछड़ा वर्ग की बहुलता भी। मौजूदा विधायक पुरुषोत्तम कंवर को फिर टिकट मिल गई तो भाजपा के एक से एक दिग्गजों की बजाय जिला पंचायत सदस्य प्रेमचंद पटेल पर आकर निगाह टिकी। पुरुषोत्तम को क्षेत्रवासियों और प्रेम को अपनों का विरोध झेलना पड़ा। यहां जोगी कांग्रेस के सपूरन कुलदीप, जोहार छत्तीसगढ़ पार्टी से सुरेंद्र राठौर, माकपा के जवाहर सिंह कंवर में भू- विस्थापितों के वोट बंट गए।


अब यहां कौन किसकी जड़ में मट्ठा डालने का काम किया है या भीतरघात से किसको सर्वाधिक नुकसान होगा, यह वक्त की बात है लेकिन पूरे चुनाव में भाजपा उम्मीदवार के लिए एक चर्चित सरकारी बाबू के द्वारा जिस तरह से भीतरी तौर पर पैसा और पसीना बहाया गया, उसकी चर्चा जमकर है। यहां भले सन्गठन का प्रदर्शन कमजोर दिखा पर अपने महकमा सहित एसईसीएल में भी खासी दखल रखने व कमीशनखोरी में काफी माहिर इस बाबू की सक्रियता खूब दिखी। चर्चा है कि इसने काफी हद तक वोट बैंक को प्रभावित करने का काम किया है।