छत्तीसगढ़ की अस्मिता के दैदीप्यमान नक्षत्र महंत बिसाहूदास के योगदान को कभी भुलाया नही जा सकता

The contribution of Mahant Bisahudas, the shining star of Chhattisgarh's identity, can never be forgotten

कोरबा सांसद श्रीमती ज्योत्सना महंत ने स्व. बिसाहू दास महंत जी को याद करते हुए कहा बाबू जी बहुत अच्छे संसद विज्ञ थे। अपनी ओजस्वी शैली और कुछ कर दिखाने के जज्बे के कारण वे संसदीय जगत के पुरोधा माने जाते थे।


महापौर राजकिशोर प्रसाद ने स्व. बिसाहूदास महंत के जीवनी पर प्रकाश डालते हुए कहा कि पृथक छत्तीसगढ़ की कल्पना, छत्तीसगढ़ी भाषा की कल्पना, हंसती खिलखिलाती संस्कृति का सपना देखा था स्व. बिसाहू दास महंत ने। उन्होने आगे कहा कि आज बिसाहूदास महंत जी हमारे बीच नही है लेकिन हम सबको उनके त्यागमय जीवन से प्रेरणा लेने की जरूरत है। वे राजनीति को सेवा कार्य मानते थे। विद्यार्थी जीवन से ही स्वतंत्रता आंदोलन के प्रति उनका लगाव था। आज जरूरत है महंत जी के लोक आदर्शों से प्रेरणा ग्रहण करने की।


सभापति श्यामसुंदर सोनी ने बिसाहू दास महंत जी की 100वीं जयंती कार्यक्रम के अवसर पर कहा कि स्व. बिसाहूदास महंत जी की स्मृतियों को सहेजना और उनके मानवीय संवेदना के पक्ष को अजागर करना आवश्यक है क्योकि वे जनसेवक और छत्तीसगढ़ के माटी के लाल बहादूर थे।


जिला कांग्रेस अध्यक्ष सुरेन्द्र प्रताप जायसवाल ने अपने विचार मे बताया स्व. बिसाहू दास महंत जी के विचार, सिद्धांत एवं अनुशासन आज भी सामुदायिक कल्याण के परिपेक्ष्य में सर्वथा प्रासंगिक है। उन्होंने आगे कहा कि स्व. बिसाहूदास महंत जी ने अपनी कुशाग्र बुद्धि का उपयोग मानव सेवा के लिए विशेष कर पीड़ितो के लिए किया। वे जितने धीर और गंभीर थे उतने ही विनोद प्रिय थे।


कार्यक्रम के शुरूवात में उपस्थितजनों ने स्व. बिसाहूदास महंत जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया इस अवसर पर पूर्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल, सुभाष धुप्पड़, हरिश परसाई, सुरेश सहगल, संतोष राठौर, सपना चौहान, उषा तिवारी, बी एल सिंह, दुष्यंत शर्मा सहित भारी संख्या में कांग्रेसजनों ने स्व. बिसाहू दास महंत जी की प्रतिमा में माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि दी।

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