हड़ताली स्वास्थ्य कर्मचारी की हार्ट अटैक से गयी जान, एनएचएम आंदोलन के बीच,कर्मचारियों में आक्रोश..

Striking health worker died of heart attack, amid NHM agitation, anger among employees..

रायपुर 29 अगस्त 2025। छत्तीसगढ़ में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) कर्मचारियों की 10 सूत्रीय मांगों को लेकर चल रही अनिश्चितकालीन हड़ताल के बीच एक बड़ी दुखद खबर सामने आई है। बस्तर जिले में 12 दिनों से हड़ताल पर बैठे स्वास्थ्य कर्मचारी बीएस मरकाम की हार्ट अटैक से मौत हो गई। इस घटना ने आंदोलन को और संवेदनशील बना दिया है।

जगदलपुर जिले में एनएचएम के अंतर्गत बीएएम (ब्लॉक अकाउंट मैनेजर) पद पर तैनात बीएस मरकाम हड़ताल में सक्रिय रूप से शामिल थे। बताया जा रहा है कि गुरुवार देर रात अचानक उन्हें हार्ट अटैक आया। परिजन और साथी कर्मचारी उन्हें तत्काल अस्पताल लेकर पहुंचे, लेकिन डॉक्टरों ने जांच के बाद उन्हें मृत घोषित कर दिया।

मरकाम की मौत की खबर से हड़ताल पर बैठे अन्य कर्मचारियों में आक्रोश और शोक की लहर दौड़ गई है।

12 दिनों से जारी है हड़ताल

छत्तीसगढ़ में एनएचएम कर्मचारी पिछले 12 दिनों से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं।

  • हड़ताल की शुरुआत 10 सूत्रीय मांगों को लेकर की गई थी।
  • इसमें नियमितीकरण, समान कार्य के लिए समान वेतन, और सेवा शर्तों में सुधार प्रमुख मुद्दे हैं।
  • केवल बस्तर जिले से ही करीब 190 स्वास्थ्यकर्मी इस आंदोलन में शामिल हैं।

हड़ताल के कारण ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों दोनों में स्वास्थ्य सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हो गई हैं। कई अस्पतालों में तालाबंदी जैसी स्थिति है और मरीजों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

एनएचएम कर्मचारी संघ ने भाजपा सरकार पर अपने चुनावी वादे पूरे न करने का आरोप लगाया है।

  • कर्मचारियों का कहना है कि भाजपा ने चुनाव से पहले “मोदी की गारंटी” के तहत 100 दिन के भीतर नियमितीकरण पर कमेटी बनाने का वादा किया था।
  • लेकिन अब 20 महीने बीत जाने के बाद भी इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।

संघ का कहना है कि सरकार उनकी मांगों की अनदेखी कर रही है और कर्मचारियों को मजबूर होकर सड़क पर उतरना पड़ा है।

हड़ताल के कारण बस्तर समेत पूरे प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाएं लगभग ठप हो गई हैं।प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और ग्रामीण अस्पतालों में दवाइयों और इलाज की सुविधा नदारद है।कई प्रसव मामलों और गंभीर मरीजों को निजी अस्पतालों का सहारा लेना पड़ रहा है।आर्थिक रूप से कमजोर मरीज सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं। मरकाम की मौत के बाद कर्मचारियों ने सरकार को चेतावनी दी है कि यदि जल्द ही उनकी मांगों पर सकारात्मक फैसला नहीं लिया गया, तो आंदोलन और उग्र होगा।