शुरू करें सोशल मीडिया उपवास,ऑनलाइन स्क्रीन टाइम कम कर अपने परिवार को दें समय …

कोरबा/सोशल मीडिया उपवास, इसका उद्देश्य, स्वयं को सोशल मीडिया की लत से थोड़ी दूरी बनाए

हम मोबाइल का उपयोग कर रहे हैं अथवा मोबाइल हमारा उपयोग कर रहा है। इंटरनेट मोबाइल और सोशल मीडिया के जमाने में यह एक ज्वलंत प्रश्न बन गया है। सोशल मीडिया का सदुपयोग काम और दुरुपयोग ज्यादा हो रहा है। आज से 40 साल पहले का सुखद पारिवारिक वातावरण वापस लाने की जरूरत है।

संस्कार शिक्षा समूह ने इस महत्व को समझते हुए रविवार 17 मार्च को 6 घंटे के लिए सोशल मीडिया उपवास की पहल की है। इसे लोगों की सकारात्मक प्रतिक्रिया समर्थन मिल रहा है। इस प्रयास को नाम दिया सुकून शांति की ओर सुखद पारिवारिक जीवन को साकार करने का प्रयास, जब आप सोशल मीडिया का प्रयोग नहीं करेंगे। तो इसके विकल्प के रूप में आपको क्या करना है। इसके उत्तर में विकल्प हैं कि सामाजिक बनने का प्रयास कीजिए। घर को व्यवस्थित करने का प्रयास कीजिये। पौधरोपण कीजिए।फूल पौधों में पानी डालिये।

पशु पक्षी के साथ कुछ वक्त बिताइए, उन्हें अपने हाथ से खाना खिलाइए, पशु पक्षियों के लिए पानी रख दीजिए क्योंकि गर्मी का मौसम आ गया है। कोई अच्छी सी पारिवारिक मूवी लगाइए और उसे परिवारवालों के साथ बैठकर देखिए। ज्यादा से ज्यादा घर, परिवारवालों और दोस्तों के साथ वक्त बिताइए, हंसी मजाक कीजिये, उनके साथ बाहर घूमने का प्लान बनाइये,कोई अच्छी सी किताब पढ़िए। कुछ सृजनात्मक रचनात्मक कार्य कीजिये। खुद के व्यक्तित्व में कैसे निखार लाया जा सकता है, इस पर कार्य कीजिये। इस कार्य को ईमानदारी से करें। खुद के प्रति ईमानदार रहें। मोबाइल बंद नहीं करना है केवल सोशल मीडिया से 6 घंटे के लिए दूर रहना है।मोबाइल हमें लोगों से जोड़कर रखता है और आपातकालीन स्थिति में मदद करता है। ऐसे में मोबाइल से दूरी नहीं बनाई जा सकती है लेकिन सोशल मीडिया से बनाई जा सकती है। अपने स्मार्टफोन, लैपटॉप, कम्प्यूटर से अनावश्यक एप या अन्य अनुपयोगी सामग्रियों से दूरी बनाई जा सकती है

हमारे आसपास कोई बेचैन युवक या युवती है जो अपने स्मार्टफोन पर हर समय पर फेसबुक चेक कर रही होगी कि थोड़ी देर पहले की गई उसकी पोस्ट पर कोई नया लाइक या कमेंट आया कि नहीं। फेसबुक से मुक्त हुए तो व्हाट्सऐप भी देख लें, और व्हाट्सऐप के बाद ई-मेल देखना तो बनता ही है। थोड़ी-थोड़ी देर पर साधारण एसएमएस देख लेना तो खैर आम बात है। हर 5 से 7 मिनट या इससे भी कम में मैसेज देखने की बेचैनी हमारी युवा-पीढ़ी और बच्चे में भी लत लग गई है

अपनी एकाग्रता भंग करके मैसेज देखने का मतलब साफ है। स्मार्टफोन हमारी कुशलता को बेहतर नहीं बना रहे। वे लोगों को मन लगा कर कोई भी काम करने से रोकने वाली एक बड़ी डिवाइस बन गए हैं। इससे अटैंशन स्पैन यानी ध्यान देने की अवधि बहुत कम हो गई है। आधा घंटा लगातार एक ही विषय पर टिककर सोचने, पढ़ने के रास्ते में न जाने कितने मैसेज कितना व्यवधान पैदा करते हैं, अब इस विषय पर सोचना आवश्यक है।

भोजन से उपवास करने से शरीर की अशुद्धियाँ साफ हो जाती हैं, सोशल मीडिया से उपवास आपको अपनी आदतों को बदलने और अपने आवेगों को स्वस्थ विकल्पों की ओर पुनर्निर्देशित करने में मदद करेगा।