बेटी है तो कल है बेटी बचाओ भविष्य बचाओ आज राष्ट्रीय बालिका दिवस
कोरबा 24 जनवरी को राष्ट्रीय बालिका दिवस है। शिक्षा के प्रचार प्रसार के साथ लड़कियों को लड़कों की तुलना में सम्मान मिल रहा है। लेकिन अभी भी उनकी प्रतिभा को सर्वांगीण रूप से विकसित करने की जरूरत महसूस की जा रही है। ऐसे बहुत से परिवार हैं जिनके घरों में संतान केवल बालिकाएं हैं। उन परिवारों के द्वारा अपने बालिकाओं का पालन पोषण बालकों की तरह किया जा रहा है। बहुत से परिवार ऐसे हैं जो प्रतिभा शिक्षा प्रोत्साहन के मामले में बालिकाओं बालकों में भेद नहीं करते हैं।
यत्र नारी पूज्यंते तत्र रमन्ते देवता।समय के साथ शिक्षा का व्यापक प्रचार प्रसार होने के बाद बालिकाओं की स्थिति में पहले की तुलना में काफी सकारात्मक बदलाव आया है लेकिन अभी भी बालकों की तुलना में बालिकाओं को शिक्षित करते हुए उनके सर्वांगीण विकास के साथ देश का जिम्मेदार और सहयोग नागरिक बनाने को लेकर समाज के दृष्टिकोण में अपेक्षित सुधार आने की जरूरत महसूस की जा रही है। रस्म अदायगी नहीं ठोस उपाय जरुरी है। ऐसी बालिकाएं जो बहुमुखी प्रतिभा की धनी हैं। जिनके माता-पिता प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद अपनी बालिकाओं को शिक्षा के माध्यम से बालकों के समतुल्य सुयोग्य बनाने के लिए प्रयास कर रहे हों। ऐसे सराहनीय परिवार को प्रोत्साहित करना चाहिए।
- सारिका श्रीवास्तव
आज भी बालिकाओं के लिए समाज की सोच अपेक्षित रुप से साकारात्मक नहीं हुई है। प्रताड़ना के चलते अपने घरों से भाग जाने वाली या लापता होने वाले बच्चों में बालिकाओं का प्रतिशत अधिक होता हैं। बालिकाओं को बालकों की तुलना में जोखिम वाली स्थिति है। राष्ट्रीय बालिका दिवस इस संकल्प के साथ मनाया जाना चाहिए जिससे कि बालिकाओं के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान करने और उनके सशक्तिकरण और उनके मानवाधिकारों को प्रोत्साहन देने की आवश्यकता पर ध्यान केंद्रित किया जा सके। बालिकाओं के सामने आने वाली असमानताओं को उजागर करने और उनके अधिकारों, शिक्षा, स्वास्थ्य और पोषण के महत्व सहित जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए दिवस मनाना चाहिए। सरकार के बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ को जन-जन का समर्थन जरूरी है।
पिंकी सोनी ब्यूटीशियन
कल्पना चावला से साइना नेहवाल तक कई भारतीय महिलाएं विभिन्न क्षेत्रों में वैश्विक स्तर पर शक्तिशाली आवाज रही हैं। आज भारत की बेटियां न केवल फाइटर प्लेन चला रही हैं बल्कि युद्ध के मोर्चे पर भी तैनात हो गयी है। चन्द्रयान-3 की सफलता में भी भारत की बेटियों का महत्वपूर्ण योगदान है। फिर भी भारतीय समाज में पितृसत्तात्मक विचारों, मानदंडों, परंपराओं और संरचनाओं के कारण ज्यादातर बालिकाएं अपने कई अधिकारों का पूरी तरह से उपभोग नहीं कर पाती हैं। लैंगिक भेदभाव और सामाजिक मानदंडों और प्रथाओं के प्रचलन के कारण, बालिकाओं को बाल विवाह, किशोर गर्भावस्था, घरेलू काम, खराब शिक्षा और स्वास्थ्य शोषण और हिंसा का सामना करना पड़ता है। यह स्थिति अच्छी नहीं है।
खिलेश्वरी पांडेय जोरापारा सरकंडा
भारतीय समाज में महिलाओं के अधिकार उनकी शिक्षा के महत्व के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए प्रयास मैदानी स्तर पर प्रभावी होने चाहिए। बेटियां हर क्षेत्र में अपना परचम लहरा रही हैं। वे हर क्षेत्र में अपने नए कीर्तिमान स्थापित कर देश का नाम रोशन कर रही है। ऐसे में समाज में बेटियों को बराबरी का हक दिलाने एवं सम्मानपूर्वक जीने का अधिकार प्रदान करने के लिए राष्ट्रीय बालिका दिवस का आयोजन किया जाता है। इसका प्रचार प्रसार होना चाहिए।
सुधा दवे शिक्षिका
आज भी देश में बेटियों के जन्म को लेकर सामाजिक धारणाएं हैं। जिसका खामियाजा मासूम बच्चियों को भुगतना पड़ता है। शिक्षा के प्रचार प्रसार के बावजूद लड़कियों की संख्या लड़कों से कम बनी रहती है। कई घरों में आज भी ऐसा होता है कि जो अधिकार लड़कों को मिलते हैं। वो अधिकार लड़कियों को नहीं मिल पाते हैं जिससे वो अपने जीवन में जो हासिल करना चाहती है वो उन्हें नहीं मिल पाता है। बालिकाओं को अपनी संपूर्ण प्रतिभा से समाज को अवगत कराने के लिए के लिए यह पहल करना चाहिए।
श्वेता वर्मा शिक्षिका
सरकार समाज के तालमेल से राष्ट्रीय बालिका दिवस को सार्थक किया जा सकता है। बालिकाओं और महिलाओं को उनके कानूनी अधिकारों के प्रति जागरूक कराना जरूरी है। उनकी सामाजिक आर्थिक राजनीतिक सुरक्षा को सुनिश्चित करना चाहिए। राष्ट्रीय बालिका दिवस को अभियान बनाकर महिलाओं को पुरुषों के समान विकास के अवसर देने के प्रयास हो रहे हैं। आज भारत की महिलाएं सीमा सुरक्षा से लेकर देश के विभिन्न महत्वपूर्ण क्षेत्रों में अपनी अहम भूमिका निभा रहीं हैं।
रिचा क्षत्रीय जोरापारा सरकंडा
अभी भी सरकार के विभिन्न कड़े नियमों के बाद भी अपनी माता के गर्भ में पल रही बच्चियों को जन्म से पूर्व ही मार दिया जाता है। बढ़ रहे बालिकाओं के प्रति अपराध, कम उम्र में उनका शोषण और उनके स्वास्थ्य तथा बालिकाओं के लिए समाज में एक सुरक्षित वातावरण बनाने के लिए जागरूकता कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं। बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, सेव द गर्ल चाइल्ड’ इस तरह के प्रयास चल रहे हैं। आईए 24 जनवरी को हम राष्ट्रीय बालिका शिक्षा दिवस के रूप में इस दिवस को मनाने के उद्देश्य के परिपेक्ष में कुछ कारगर पहल करें यह संकल्प लेते हैं।
- गरिमा दुबे
गर्ल्स चाईल्ड प्रोटेक्शन मूवमेंट