सरस्वती शिक्षा संस्थान ने बच्चों को सदाचारी बनाने ली परीक्षा

Saraswati Shiksha Sansthan took the exam to make the children virtuous

बिलासपुर / प्रदेश के सरस्वती शिशु मंदिरों में 20 अप्रैल को बच्चों में आचार विचार व्यवहार सदाचार आचरण की गुणवत्ता को परखने परीक्षा आयोजित की गई। सर्वांगीण व्यक्तित्व विकास के पहलू पूछे गए।

सरस्वती शिक्षा संस्थान के प्रांतीय प्रचार प्रमुख संस्कार श्रीवास्तव ने बताया कि करीब 1100 स्कूलों में परीक्षा में परीक्षार्थी बड़े उत्साह के साथ शामिल हुए।

सशिसं अध्यक्ष जुड़ावन सिंह ठाकुर ने बताया कि पढ़ाई के अतिरिक्त बच्चों में संस्कार विकसित करने के लिए यह अनिवार्य की गई है। बच्चों में यह गुण आना जरूरी है।‌ समाज की विसंगतियों को देखते हुए लोगों के व्यवहार में सत्यता न्याय जिम्मेदारी आनी चाहिए। यह परीक्षा बच्चों को जीवन को सही गति दिशा देगी। सदाचारी अपने जीवन में कभी निराश नहीं होता। सदाचार से मनुष्य का चरित्र उज्ज्वल होता है। कर्तव्यनिष्ठा सत्य भाषण उदारता विशिष्टता विनम्रता सहानुभूति आती है।

यह पूछा गया –

एकात्मता स्तोत्र लिखिए। श्रीकृष्ण और सुदामा को आश्रम में क्या काम करना पड़ते थे। यदि आप परीक्षा देने जा रहे हो और मार्ग में कोई घायल व्यक्ति पड़ा हो तो आप क्या करेंगे। प्रकृति को उदार और दानी क्यों कहा जाता है। जन्म देने वाली माता से भारत माता क्यों बड़ी होती है । प्रातः स्मरण श्लोक लिखिए। राष्ट्रगान गाते समय हमें किन बातों का ध्यान रखना चाहिए। सरस्वती वंदना संस्कृत में लिखिए । छुआछूत की कुप्रथा से हमारे देश और समाज को क्या हानि हुई है। दीप वंदना भोजन मंत्र विसर्जन मंत्र संस्कृत में लिखिए।