नई दिल्लीः देशभर में अब लोकसभा चुनाव का शोर थम गया है, क्योंकि बीते दिन गुरुवार को शाम 5 बजे तक सभी राजनीतिक दलों ने एड़ी से चोटी तक जोर लगाती नजर आई। बीजेपी से लेकर विपक्षी राजनीतिक दलों के नेताओं ने आखिरी चरण में अपने पक्ष में माहौल बनाने के लिए रोड शो और जनसभा कर वोटों की अपील की। इतना ही नहीं स्थानीय नेताओं ने डोर टू डोर कैंपेन कर पूरी ताकत झोंकी।
आखिरी यानी 7वें चरण में 1 जून 2024 को वोटिंग होनी है। दूसरी तरफ पीएम नरेंद्र मोदी इन दिनों सुर्खियों में बने हुए हैं, जिसकी वजह चुनाव ही है। पीएम नरेंद्र मोदी चुनाव प्रचार के खत्म होते ही कन्याकुार में विवेकानंद रॉक मेमोरियल में पहुंच गए हैं, जहां ध्यान साधना कर रहे हैं। वे लगातार 45 घंटे बिना भोजन खाए ध्यान लगाएंगे। इस दौरान मोदी केवल अंगूर के जूस और नारियल पानी कानी का ही सेवन कर सकेंगे। सूत्रों से मिली जानकारी की मानें तो मोदी मौन वृत भी रखेंगे और अपने साधना कक्ष से बाहर नहीं निकलेंगे।
कन्याकुमार स्थान इतना महान क्यों?
भारतयी मुल्क का सबसे दक्षिण छोर कन्याकुमारी के नाम से प्रसिद्ध है। अब सभी के मन में सवाल उठ रहा कि यह स्थान इतना प्रसिद्ध है। कन्याकुमार यानी वो स्थान जहां भारत की पूर्वी और पश्चिमी तट रेखाएं मिलती हैं।
वहीं, ये हिंद महासागर, बंगाल की खाड़ी और अरब सागर का भी मिलन बिंदु है, जहां महापुरुष विवेकानंद से प्रभावित होकर पीएम नरेंद्र मोदी 70 से ज्यादा दिनों तक चुनाव प्रचार खत्म करने के बाद गुरुवार शाम उस ऐतिहासिक जगह पहुंचे जहां विवेकानंद को अपनी जिंदगी का मकसद प्राप्त मिला था।
पीएम हेलिकॉप्टर से पहुंचे कन्याकुमारी
लोकसभा चुनाव प्रचार खत्म होने क बाद पीएम नरेंद्र मोदी हेलिकॉप्टर से तिरुवनंतपुरम से 97 किमी दूर तमिलनाडु के कन्याकुमारी में पहुंचे हैं, जहां सुरक्षा-व्यस्था के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। विवेकानंद मंडपम के ठीक सामने 300 मीटर दूर उनका हेलिकॉप्टर ने लैंड की। कन्याकुमारी पहुंचते ही मोदी का काफिला सीधे भगवती अम्मान मंदिर की ओर निकल गया।
यहां मोदी विवेकानंद रॉक मेमोरियल में जाने से पहले पूजा की। भगवती अम्मान मंदिर का उल्लेख प्राचीन ग्रंथों के नाम से जाना जाता है। माना जाता है कि कन्याकुमारी की मूर्ति की स्थापना 3000 साल पहले भगवान परशुराम ने की थी। पुजारियों की मानें तो किसी पीएम ने पहली बार देवी के दर्शन किए हैं। धोती और सफेद शॉल ओढ़े मोदी ने मंदिर में पूजा-अर्चना की। इसके अलावा गर्भगृह की परिक्रमा भी की है।