केजरीवाल की जमानत पर लगी जनहित याचिका खारिज, HC ने लगाया 75 हजार जुर्माना

PIL on Kejriwal's bail rejected, HC imposes fine of Rs 75,000

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल कथित शराब घोटाले के आरोप में तिहाड़ जेल में बंद हैं. कई बार की कोशिशों के बीच उन्हें कोर्ट से राहत नहीं मिली. केजरीवाल को जमानत देने के लिए कोर्ट में एक शख्स ने याचिका दाखिल की है. याचिकाकर्ता ने केजरीवाल को जान का खतरा बताते हुए उन्हें मुख्यमंत्री रहने तक विशेष अंतरिम जमानत देने की मांग को लेकर PIL दाखिल की जिस पर दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई हुई.

इस दौरान केजरीवाल के वकील ने याचिकाकर्ता का विरोध किया. कोर्ट में केजरीवाल की तरफ से पेश हुए वकील राहुल मेहरा ने कहा कि ये याचिका पूरी तरह से अस्वीकार्य है. सभी मामलों में असाधारण जमानत दी जाए. उन्होंने सवाल किया कि इस तरह के मामले में आने वाला यह शख्स कौन होता है और ऐसी प्रार्थना कैसे मंजूर की जा सकती है. उन्होंने कहा कि यह पूरी तरह से पब्लिसिटी के लिए किया गया है.

‘आप उनकी मदद करने वाले कौन होते हैं’

दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता से कोर्ट ने कहा कि केजरीवाल की तरफ से उनके वकील राहुल मेहर पेश हो रहे हैं और उनका कहना है कि वो जमानत के लिए सभी जरूरी कदम उठा रहे हैं. ऐसे में उन्हें किसी से कोई मदद की जरूरत नहीं है. कोर्ट ने याचिकाकर्ता पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि आप उनकी मदद करने वाले कौन होते हैं? आपको वीटो पावर कैसे मिली? क्या आप संयुक्त राष्ट्र के सदस्य हैं?

याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट में कहा कि उनके पास कोर्ट में जाने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं है. वकील ने कहा कि मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी की वजह से पूरी सरकार ठप हो गई है. दिल्ली में होने वाले कामकाज रुक गए हैं. वकील ने कहा कि केजरीवाल ही सरकार के मुखिया हैं. ऐसे में उन्हें जमानत मिलनी चाहिए. वकील ने कहा कि सरकारी अस्पतालों में दवाइयां उपलब्ध नहीं हैं जो काफी चिंता की बात है. उन्होंने कोर्ट से यह भी कहा कि वो किसी तरह का कोई प्रचार नहीं चाहते इसलिए याचिकाकर्ता ने अपना नाम भी नहीं बताया है.

कोर्ट ने याचिकाकर्ता पर 75 हजार का जुर्माना लगाया

कोर्ट ने जनहित याचिका को खारिज करते हुए याचिकाकर्ता पर 75 हजार का जुर्माना भी लगाया. कोर्ट ने कहा कि कानून हर व्यक्ति के लिए एक जैसा है. हम अरविंद केजरीवाल को सलाह देने वाले कोई नहीं हैं. वह कोर्ट के आदेश के कारण हिरासत में हैं और अब यह चुनौती सुप्रीम कोर्ट में है. इसके साथ ही कोर्ट ने ये भी कहा कि लगता है कि पिछला जुर्माना अपर्याप्त था, यह लोगों को इस तरह की याचिकाएं दायर करने से नहीं रोक पा रहा है.