छलपूर्वक क्रय किये गये आदिवासी जमीन को शासन के नाम पर दर्ज किये जाने का आदेश पारित, एसडीएम न्यायालय से हुआ आदेश पारित

Order passed to register the fraudulently purchased tribal land in the name of the government, order passed by SDM court

कोरबा 29 नवंबर 2024/आवेदिका शुकवारा बाई पति सव० पंचराम वगै०, निवासी- आंछीमार, तहसील- कोरबा के द्वारा ग्राम- कोरबा, प0ह0नं0 16, तहसील- कोरबा स्थित ख0नं0- 236/3 रकबा 0.87 एकड़/0.352 हे0 भूमि जो कि आवेदक गण के पूर्वज चुलबुल कोरवा के नाम पर दर्ज रहा है, जिसे अनावेदिका रंजना सिंह के द्वारा अपने नाम पर राजस्व अभिलेखों में छलपूर्वक दर्ज करा लेने के कारण आवेदन पत्र अंतर्गत छ०ग०भू०रा०संहिता की धारा 170 (ख) के तहत प्रस्तुत कर आवेदिका गण अपने नाम पर दर्ज कराने हेतु प्रस्तुत की गई।
प्रकरण में सुनवायी करते हुए संलग्न दस्तावेजों के आधार पर आवेदक गण शुकवारा बाई बेवा पंचराम वगै0 के द्वारा मान० व्यवहार न्यायाधीश वर्ग-2 कोरबा के समक्ष व्यवहार बाद क्रमांक 70 ए/2014 पेश किया गया कि जिसमें बुंदकुंवर एवं रंजना सिंह को भी पक्षकार के रूप में पक्षकार बनाया गया था। मान० व्यवहार न्यायाधीश वर्ग-2 कोरबा ने अपने निर्णय दिनांक 05/08/2017 को आवेदक गणों का दावा निरस्त किया गया है, जिसके विरूद्ध आवेदक गणों के द्वारा अपर जिला न्यायाधीश कोरबा के समक्ष सिविल अपील प्रकरण क्रमांक 12 ए /2017 प्रस्तुत किया गया, जिसमें मान० व्यवहार न्यायाधीश के निर्णय दिनांक 28/09/2022 को वाद भूमि को आवेदक गणों की पैतृक भूमि नहीं होना निर्णय दिया गया है ।
छ0ग0भू०रा०संहिता 1959 की धारा 170 (ख) के तहत बनाये गये प्रावधानों के अनुसार यदि खातेदार की भूमि को छलकपट के द्वारा गैर आदिवासी व्यक्ति के द्वारा आदिवासी व्यक्ति से क्रय किया जाता है, तो मूलतः उस भूमि को आदिवासी पक्षकार को लौटा दी जायेगी। यदि आदिवासी पक्षकार का फौत हो चुका है, तो उसके विधिक वारिसानों को भूमि वापस कर दी जायेगी। यदि खातेदार का कोई विधिक वारिसान न हो तो भूमि को शासन के पक्ष में दर्ज किया जायेगा। इस प्रकार मान० व्यवहार न्यायालय के निर्णय अनुसार आवेदक गण एवं आपत्तिकर्ता गण चुलबुल के वैध वारिस नहीं है तथा चुलबुल के वारिसान बुंदकुंवर का निःसंतान फौत हो जाने के कारण ग्राम- कोरबा, पह0नं0-16, तहसील- कोरबा स्थित भूमि ख0नं0- 236/3 रकबा 0.87 एकड़ / 0.352 हे0 को वर्तमान में अनावेदिका रंजना सिंह के नाम पर दर्ज है, जो छलकपट पूर्वक अंतरण हुआ है, जिस पर संहिता की धारा 170 (ख) आकृष्ट होने से आवेदित भूमि के अंतरण को शून्य घोषित करते हुए राजस्व अभिलेखों से रंजना सिंह का नाम विलोपित करते हुए छ०ग०शासन के नाम पर दर्ज करने का आदेश पारित किया गया गया तथा तहसीलदार कोरबा को निर्देशित किया गया है कि बाद भूमि का आधिपत्य अनावेदिका रंजना से प्राप्त कर शासन के पक्ष में रखा जावे।

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