भागवत कथा के अंतिम दिन भक्तिरस में डूबा कथा परिसर सुदाम चरित्र सुनकर भावुक हुए श्रद्धालु ,सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा का हुआ समापन

On the last day of Bhagwat Katha, the Katha premises were immersed in devotion, devotees became emotional after listening to Sudam's character, seven-day Bhagwat Katha concluded

कोरबा/कोरबा शिवाजी नगर में नामदेव परिवार द्वारा आयोजित सप्ताह भर से चली आ रही भागवत कथा के अंतिम दिन कथा स्थल पर श्रीमद् भागवत का रसपान पाने के लिए भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा। जांजगीर चांपा जिले के पिसौद से पधारे परमपूज्य कथा वाचक पंडित प्रकाश शर्मा जी महाराज ने श्रीमद् भागवत कथा का समापन करते हुए क‌ई कथा प्रसंगों का भक्तों को श्रवण कराया। जिसमें ऊषा चरित्र,नृग चरित्र, बासुदेव नारद संवाद, सुदामा प्रसंग, परीक्षित मोक्ष की कथाओं का श्रवणपान करवाया।
कथा के दौरान आचार्य जी ने भक्तों को भागवत को अपने जीवन में उतारने की बात कही। वहीं उन्होंने सुदामा चरित्र के माध्यम से भक्तों को श्रीकृष्ण और सुदाम की दोस्ती की मिसाल पेश की। समाज को समानता का संदेश दिया।

इस कड़ी में महाराज ने भक्तों को बताया कि श्री मद् भागवत कथा का सात दिनों तक श्रवण करने से जीव का उद्धार हो जाता है, वहीं इस कथा को कराने वाले भी पुण्य के भागी होते हैं। अंतिम दिन शुकदेव द्वारा राजा परीक्षित को सुनाई गई श्रीमद् भागवत कथा का पूर्णता प्रदान करते हुए कथा में विभिन्न प्रसंगों का वर्णन किया। वहीं उन्होंने सात दिन की कथा का सारांश बताते हुए कहा कि जीवन क‌ई योनियों के बाद मिलता है और इसे कैसे जीना चाहिए के बारे में भी उपस्थित भक्तों को समझाया। सुदामा चरित्र को विस्तार से सुनाते हुए श्रीकृष्ण सुदामा की निश्छल मित्रता का वर्णन करते हुए बताया कि कैसे बिना याचना के कृष्ण ने गरीब सुदामा की स्थिति को सुधारा। वहीं दूसरी ओर उन्होंने गौ सेवा कार्य करने पर जोर दिया।

इस दौरान सुदामा की मनमोहक झांकियो का चित्रण किया गया जिसे देखकर हर कोई भाव विभोर हो उठा। महाराज जी ने कथा के हर प्रसंगों का वर्णन किया।
अन्त में कृष्ण के दिव्य लोक पहुंचने का वर्णन किया।

महाआरती के बाद भोग वितरण किया गया