रायपुर, 27 अप्रैल । ट्रेनों की लेटलतीफी और दुर्घटना की आशंका को खत्म करने के लिए मंडल के कुम्हारी-सरोना और बिलासपुर-गतोरा सेक्शन को आटोमेटिक सिग्नल प्रणाली से लैस कर दिया गया है। इस सिस्टम के लगने से अब कई ट्रेन एक ही ट्रैक पर आसानी से चल सकेंगी। इससे पैसेंजर ट्रेनों की लेटलतीफी पर विराम लगेगा। सिग्नल एवं दूरसंचार के क्षेत्र में आटो सिग्नल रेलवे का भविष्य है।
यह ज्यादा से ज्यादा ट्रेन चलाने के साथ-साथ प्रमुख जंक्शन स्टेशन के ट्रैफिक को नियंत्रित करने में मदद करता है। पहले जहां दो स्टेशनों के बीच एक ही ट्रेन चल सकती थी, वहीं आटो सिग्नल के जरिए दो स्टेशन की बीच दूरी के अनुसार चार, पांच या छह ट्रेनें भी आ सकती हैं। आटो सिग्नल व्यवस्था बिना किसी अतिरिक्त स्टेशनों के निर्माण और रखरखाव के ज्यादा से ज्यादा ट्रेन चलाने की सुविधा देती है।
14 किलोमीटर आटो सिग्नल का काम पूरा
रेलवे मंडल के अधिकारियों ने बताया कि वर्तमान में बिना नई लाइन का निर्माण किए सेक्शन की क्षमता बढ़ाने का यह सर्वोत्तम उपाय है। दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे ने अप्रैल महीने में आटो सिग्नल के क्षेत्र मे उच्च मापदंड के हर नवीन सोपान को पूरा करते हुए 14 किलोमीटर आटो सिग्नल के काम को पूरा किया है।
कुम्हारी से सरोना (सात किमी), बिलासपुर-गतोरा चतुर्थ लाइन (सात किमी) को आटो सिग्नल में बदला गया है। इस कार्य के संपन्न होने से नागपुर से सरोना तक आटो सिग्नलिंग पुर्ण हो गया है। सरोना से रायपुर भी अगले तीन माह में पूरा कर लिया जायेगा। दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के प्रधान मुख्य सिग्नल एवं दूरसंचार इंजीनियर सुरेश कुमार सोलंकी के दिशा-निर्देश में यह जोन अपने आटो सिग्नल लक्ष्य के प्रति निरंतर अग्रसित हो रहा है।
आने वाले समय में आटो सिग्नलिंग व्यवस्था दक्षिण पूर्व मध्य रेल्वे में अत्याधिक मालवाहक ट्रेनों की आवाजाही के कारण देर से चलने वाली पैसेंजर ट्रेनों पर बहुत हद तक विराम लगा सकता है, क्योंकि इस व्यवस्था से एक ब्लाक सेक्शन में एक से ज्यादा ट्रेनों की आवाजाही सुनिश्चित किया जा सकेगा। इसके साथ ही कवच एवं केंद्रीकृत यातायात प्रणाली को लागू करने में भी लाभप्रद सिद्ध होगी।