नीतीश और नायडू हैं नरेंद्र मोदी के पुराने दुश्मन, क्या मौके पर मारेंगे चौका?

Nitish and Naidu are old enemies of Narendra Modi, will they hit a four on the occasion?

पटना, 5 जून 2024: लोकसभा चुनाव 2024 के जो रिजल्ट आए हैं, वह संभव हो पाए इसका प्रयास साल 2019 में चंद्रबाबू नायडू कर रहे थे। नायडू पांच साल पहले इसी प्रयास में थे कि नरेंद्र मोदी को केंद्र की सत्ता से हटाया जा सके। उस समय नायडू हर राज्य की राजधानी में जाकर नेताओं से बात कर रहे थे। वह नेताओं से कह रहे थे हम सब मिलकर एक ऐसा फ्रंट बनाएं ताकि केंद्र की सत्ता से नरेंद्र मोदी को हटा सकें। साल 2023-24 में वही रोल नीतीश कुमार निभाते हुए दिखे। नीतीश कुमार भी सभी राज्यों की राजधानी में गए, अलग-अलग दलों के बड़े नेताओं से मुलाकात की और सबको इस बात के लिए तैयार किया कि अगर हम साथ हो जाते हैं तो एक ऐसा गठबंधन बना सकेंगे जिसके दम पर नरेंद्र मोदी को केंद्र की सत्ता से बाहर किया जा सकेगा।

अब नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू जिस मंशा से साल 2019 और 2024 में घूम रहे थे आज उसे साकार करने का उनके पास अवसर आ गया है। इसे नियति ही कहेंगे कि कैसे राजनीति के कालचक्र का पहिया घूमा है कि आज दोनों नेता एनडीए में हैं, लेकिन उनके पास नरेंद्र मोदी के खिलाफ पुरान मंसूबा पूरा करने का मौका आया है। आज नीतीश, नायडू इस हालात में हैं कि नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बनेंगे या नहीं यह ये दोनों ही तय करेंगे।

फिलहाल पूरा देश दिल्ली की गद्दी को तय होते हुए देख रहा है। इस कहानी में संयोग यह है कि जब दिल्ली की राजगद्दी को स्थिर किया जाएगा तो उसके साथ और क्या-क्या हो जाएगा। यानी किस किस तरह की राजनीतिक डील तय होगी। इस डील का सबसे बड़ा फायदा नीतीश कुमार को बिहार में होगा। पिछले कुछ दिनों से पटना के राजनीतिक गलियारों में नीतीश कुमार की सीएम की कुर्सी डगमगाने की चर्चा होने लगी थी। लोकसभा की 12 सीटें अब उसे स्थिर कर देगी। नीतीश कुमार 2024 में 16 सीटों पर लड़े और 12 सीटें जीते। अब उनकी सीएम की कुर्सी पक्की हो गई है। लोकसभा चुनाव में जो हालात बने हैं उसके बाद यह साफ हो गया है कि बीजेप सपने में भी नहीं सोच सकती है कि नीतीश की सीएम की कुर्सी को हिलाया जाए। अब नीतीश कुमार के पास केंद्र की सरकार को बचाए रखने के लिए 12 सीटों की संजीवनी है।

नीतीश कुमार के पास विधानसभा की कम सीटों का दाग धोने का मौका
लोकसभा चुनाव रिजल्ट आने के बाद नीतीश कुमार के पास 2020 के बिहार विधानसभा में महज 43 सीटें जीतने का दाग धोने का भी मौका है। 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में आरोप लगते रहे कि बीजेपी की सह पर चिराग पासवान ने जेडीयू के खिलाफ प्रत्याशी उतारे और नीतीश कुमार को तीसरे नंबर की पार्टी बनने को मजबूर कर गए। अब नीतीश कुमार बिहार में इस हालत में हैं कि वह बीजेपी के साथ अपने हिसाब से डील कर सकेंगे। बिहार में जब भी विधानसभा के चुनाव होंगे तब नीतीश बराबरी की हिस्सेदारी ले सकेंगे।