रायपुर ,14 अप्रैल 2024। पश्चिम क्षेत्रीय विद्युत समिति की 49 वीं बैठक इस समिति के अध्यक्ष एवं छत्तीसगढ़ शासन के सचिव ऊर्जा व छत्तीसगढ़ पॉवर कम्पनीज़ के अध्यक्ष पी.दयानंद की अध्यक्षता में दमन में संपन्न हुई। इस समिति के माध्यम से छत्तीसगढ़ में अति उच्च दाब की अंतर्राष्ट्रीय पारेषण परियोजनाओं का मार्ग प्रशस्त हुआ है,जिसका बड़ा लाभ छत्तीसगढ़ सहित अन्य राज्यों को मिलेगा। पी. दयानंद 1 अप्रैल 2024 से पश्चिम क्षेत्रीय विद्युत समिति के अध्यक्ष नियुक्त किए गये हैं। इस समिति में गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश , गोवा , दमन और दीव, दादरा एवं नगर हवेली की उत्पादन, पारेषण, वितरण पॉवर कम्पनीज़, एनटीपीसी , पॉवर ग्रिड कारपोरेशन ऑफ़ इंडिया, इन राज्यों की निजी पॉवर उत्पादक कंपनियाँ, निजी पारेषण व ट्रेडिंग कंपनियाँ , राज्य एवं क्षेत्रीय भार प्रेषण केंद्र सम्मिलित हैं।
देश के पश्चिम क्षेत्र में विद्युत प्रणाली को सुदृढ़ बनाने में पश्चिम क्षेत्रीय विद्युत समिति की महत्वपूर्ण भूमिका है। हर तीन माह में समिति की बैठक आयोजित की जाती है।इसी कड़ी में केंद्र शासित राज्य दमन में समिति की 49 वीं बैठक 12-13 अप्रैल को दमन में संपन्न हुई।इस बैठक में पॉवर के अंतर्राज्यीय मुद्दों पर महत्वपूर्ण निर्णय हुये जैसे नयी अंतर्राज्यीय पारेषण लाइनों के निर्माण की स्वीकृति, डेटा के संचार हेतु राष्ट्रीय स्तर पर एक समान सॉफ्टवेर बनाने, अंतर्राज्यीय पॉवर एक्सचेंज से संबंधित विभिन्न वाणिज्यिक व मीटरिंग व्यवस्था के आधुनिकीकरण जैसे मुद्दे सहित अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर आपसी सहमति से निर्णय लिये गये।साथ ही पूर्व निर्णयों के त्वरित क्रियान्वयन ,समस्याओं के समाधान आदि विषयों पर भी चर्चा की गई ।
इसके पूर्व 12 अप्रैल को पश्चिम क्षेत्रीय विद्युत समिति की तकनीकी समन्वय समिति की बैठक राजेश कुमार शुक्ला, प्रबंध निदेशक छत्तीसगढ़ पारेषण एवं वितरण कंपनी की अध्यक्षता में दमन में ही संपन्न हुई। उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ राज्य में पाॅवर ग्रिड के धमधा स्थित 765 केवी उपकेंद्र से छत्तीसगढ़ राज्य के उपकेंद्रों में जुड़ने वाली 4 नग 220 केवी लाइनों,400 केवी धमधा पॉवर ग्रिड उपकेंद्र से सीएसपीटीसीएल के 400केवी कुरूद उपकेंद्र तक तथा 400 केवी जेपोर (ओडीशा) से सीएसपीटीसीएल के 400 केवी जगदलपुर उपकेंद्र तक 400 केवी की लाइनों की स्वीकृति प्रदान की गई है । इन पर कार्य भी प्रारंभ हो गए हैं। इनके निर्माण से छत्तीसगढ़ को केंद्रीय पूल से मिलने वाली बिजली की मात्रा में वृद्धि होगी जिससे विद्युत व्यवस्था सुदृढ़ होगी।