मान्यता है कि महाशिवरात्रि का व्रत रखकर भगवान शिव की पूजा करने से वर्ष भर शिव भगवान की पूजा के बराबर फल प्राप्त हो जाता है. शिवरात्रि के व्रत में पारण का बहुत महत्व होता है.
हिंदू धर्म में भगवान शिव की पूजा अर्चना का बहुत महत्व है. हर माह की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत और हर माह कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि का व्रत रखा जाता है. शिव भक्त इन व्रतों को रखकर विधि विधान से भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा अर्चना करते हैं लेकिन भगवान शिव की पूजा के लिए सबसे महत्वपूर्ण महाशिवरात्रि (Kab Hai Mahashivaratri-2025) को माना जाता है. फाल्गुन माह की कृष्ण पक्षी की चतुर्दशी तिथि पर महाशिवरात्रि का व्रत रखा जाता है. मान्यता है कि महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह (Bhagwan Shiv Ka Vivah Kab Hua Tha) हुआ था इस वर्ष 26 फरवरी बुधवार को महाशिवरात्रि का व्रत रखा जाएगा. महाशिवरात्रि से एक सप्ताह पहले ही देश भर के शिव मंदिरों में भगवान के विवाह कर रस्में शुरू हो जाती हैं. महाशिवरात्रि के दिन धूमधाम से भगवान शिव की बारात निकाली जाती है. मान्यता है कि महाशिवरात्रि का व्रत रखकर भगवान शिव की पूजा करने से वर्ष भर शिव भगवान की पूजा के बराबर फल प्राप्त हो जाता है. शिवरात्रि के व्रत में पारण का बहुत महत्व होता है. आइए जानते हैं शिवरात्रि का व्रत रखने वालों को पारण कब (Mahashivratri Mein Paran Ka Samay Kya Hai) करना चाहिए.
महाशिवरात्रि का पारण समय (Maha Shivratri Mein Paran Ka Samay Kya Hai)
महाशिवरात्रि का पारण व्रत के अगले दिन यानी 27 फरवरी गुरुवार को होगा. हालांकि शिवरात्रि के व्रतधारी शाम के समय फलहार कर सकते हैं. पारण के दिन सुबह स्नान के बाद भगवान शिव का गंगाजल से अभिषेक करने के बाद विधिविधान से पूजा करें और इसके बाद व्रत का पारण करें.
महाशिवरात्रि पारण समय
27 फरवरी, सुबह 6 बजकर 48 मिनट से सुबह 8 बजकर 54 मिनट तक
महाशिवरात्रि के दिन रात के चारों प्रहरों में भगवान शिव की पूजा करने का विधान माना जाता है
रात्रि प्रथम प्रहर पूजा समय
शाम बजकर 19 मिनट से रात 9 बजकर 26 मिनट तक
रात्रि द्वितीय प्रहर पूजा समय
रात्रि 9 बजकर 26 मिनट से 27 फरवरी रात 12 बजकर 34 मिनट तक
रात्रि तृतीय प्रहर पूजा समय
27 फरवरी रात 12 बजकर 34 मिनट से प्रातः 3 बजकर 41 मिनट तक
रात्रि चतुर्थ प्रहर पूजा समय
27 फरवरी प्रात: 3 बजकर 41 मिनट से सुबह 6 बजकर 48 मिनट तक
पारण में रखें इन बातों का ध्यान
शिवरात्रि के व्रत के पारण में सात्विक भोजन ही करना चाहिए. इसके साथ ही पारण में मूली, बैंगन आदि का भी सेवन भी वर्जित माना जाता है. पारण के पहले ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा देने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और व्रत का पूरा फल प्राप्त होता है.
महाशिवरात्रि का महत्व
मान्यता है कि महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव वैराग्य जीवन छोड़कर मां पार्वती के साथ विवाह के बंधन में बंधे थे. इस दिन माता पार्वती और भगवान शिव भ्रमण पर निकलते हैं और रात्रि जागरण कर महादेव की भक्ति में भजन कीर्तन और पूजा करने वालों पर विशेष कृपा करते हैं. मान्यता है कि महाशिवरात्रि की रात ग्रह और नक्षत्रों की ऐसी स्थिति होती है जिससे एक खास ऊर्जा का प्रवाह होता है.