कलरिपयतु, भारत मे मार्शल आर्ट का सबसे पुराना रूप इस कारण इसे प्राचीन मार्शल आर्ट तथा सभी मार्शल आर्ट्स की जननी कहा जाता है ।
कलरिपयतु दक्षिण राज्य केरल से उत्पन्न एक युद्धकला है जिसमे हमले, पैर से मारना, मल्लयुद्ध, पूर्व निर्धारित तरीके, हथियारों के जखीरें और उपचार के तरीके शामिल हैं। इस प्राचीन मार्शल आर्ट् को दक्षिण की फिल्मों में मुख्यतः से शामिल किया जाता रहा है। हाल के वर्षों में, अंतर्राष्ट्रीय और भारतीय फिल्मों जैसे इंडियन (1996), अशोका (2001), द मिथ (2005), द लास्ट लीजन (2007)विधुत जामवाल की जंगली(2019) फ़िल्म और जापानी अनिमे/मंगा श्रृंखला तथा अन्य में इसके शामिल होने के साथ इस कला को और लोकप्रियता प्राप्त हुई है।
इसी तारतम्य में कलरिपयतु को खेल के रूप में भी अपनाया गया है। इंडियन कलरिपयतु फेडरेशन (IKF) को खेल एवं युवा कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार से संबद्धता प्राप्त होने के साथ ही इसे खेलो इंडिया यूथ गेम्स में शामिल किया गया जिससे खेल के रूप में कलरिपयतु को एक नई ऊंचाई प्राप्त हुई। इस प्राचीन मार्शल आर्ट को लोगों तक पहुंचाना इसके उत्थान के लिए कार्य करने में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के द्वारा रेडियो पर (मन की बात कार्यक्रम) समय-समय पर इस खेल विधा के बारे में चर्चा की जाती रही है जिसके फलस्वरूप खेल को समझने एवं विश्व ख्याति प्राप्त कराने में सहायता मिली है। मीनाक्षी अम्मा तथा अन्य को भी कलरिपयतु के क्षेत्र में विशेष कार्य करने पर पद्म श्री से पुरस्कृत किया गया है।*
गोवा में आयोजित होने वाले 37 वीं राष्ट्रीय खेल के लिए डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी इंडोर स्टेडियम गोवा में पूर्व नियोजित लोगो लॉन्चिंग सेरेमनी में श्री गोविंद गौड़े, खेल मंत्री ,गोवा शासन के द्वारा विभिन्न खेलों के नाम एवं लोगो की औपचारिक घोषणा की गई जिसमें कलरिपयतु खेल को भी शामिल किया गया है यह हर्ष का विषय है कि इस प्राचीन मार्शल आर्ट को भारत सरकार प्राथमिकता क्रम में रख कर इस खेल के उत्थान के लिए कार्य कर रही है।
कमलेश देवांगन, महासचिव छत्तीसगढ़ कलरिपयतु एसोसिएशन में बताया कि कलरिपयतु को उच्चारण अपभ्रंसो के कारण कलारिपट्टू, कलरीपायट्टु, कलरिपयेट विभिन्न उच्चारणों से जाना जाता है। छत्तीसगढ़ राज्य संघ रजिस्ट्रार पंजीयन फर्म एवं संस्थाएं से रजिस्ट्रीकृत है तथा छत्तीसगढ़ के खिलाड़ियों ने राष्ट्रीय एवं खेलो इंडिया यूथ खेल में पदक प्राप्त कर राज्य को गौरवान्वित किया है। राष्ट्रीय खेल में शामिल होने से अब सीनियर खिलाड़ियों को पदक प्राप्त करने से छत्तीसगढ़ शासन में उत्कृष्ट खिलाड़ी एवं नौकरी की संभावना बढ़ जाएगी जिसे रोजगार उन्मुखता के रूप में भी देखा जा सकता है।