जांजगीर-चांपा :स्टापडेम से किसानों की समृद्धि के खुले रास्ते, चेहरे पर आई खुशहाली की मुस्कान

Janjgir-Champa: Stop dam opens doors to prosperity for farmers, brings a smile of happiness on their faces

जल संसाधन विभाग ने जेवरा ग्राम पंचायत में बनाया स्टापडेम, किसानों को मिल रहा भरपूर पानी, दोहरी फसल के साथ सब्जी-बाड़ी लगा रहे किसान

जांजगीर-चांपा 19 फरवरी 2024 I जल-संचय और जल-स्रोतों के संरक्षण-संवर्धन का कार्य जल संसाधन विभाग के माध्यम से बखूबी किया जा रहा है। इन कार्यों से खेती-किसानी के कार्यों को मजबूती मिल रही है और किसानों को सिंचाई सुविधाओं के विस्तार से किसानों की आजीविका सशक्त हो रही और उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत बन रही हैं। ऐसा ही कुछ जिले के जनपद पंचायत पामगढ़ की ग्राम पंचायत जेवरा में बोहानाला पर बनाए गए स्टापडेम सह रपटा के निर्माण होने के बाद से किसानों के साथ हुआ है। किसानों को अब खरीफ के साथ ही रबी फसल के लिए भी पानी मिलने लगा। जहां एक ओर पुराने नरवा को पुनर्जीवन मिल गया तो दूसरी ओर गांव की खुशहाली और समृद्धि का रास्ता खुल गया।

जल ही जीवन है और यही जल ग्राम पंचायत जेवरा के लिए वरदान साबित हुआ जब उनके गांव में स्टापडेम बन गया। कार्यपालन अभियंता हसदेव नहर जल प्रबंध संभाग जल संसाधन विभाग द्वारा पामगढ़ विकाससखण्ड अंतर्गत 2 करोड़ 40 लाख की प्रशासकीय स्वीकृति से स्टापडेम का निर्माण किया गया है, लेकिन स्थिति पहले ऐसी नहीं थी, ग्रामीण बताते हैं कि स्टापडेम निर्माण नही होने के पहले इस नाले का पानी बारिश के बाद ही सूख जाता था, ऐसे में किसानों को दोहरी फसल लेने के बारे में सोचना मुश्किल था, साथ ही पशुपालकों के लिए भी पानी नहीं मिलता था, जिससे उनकी परेशानियां बढ़ी हुई थी। ग्रामीणों ने जेवरा ग्राम पंचायत से होते बोहानाला बहता है। नाले को सुव्यवस्थित तरीके से उपचार करने के बारे में सोचा। इसके बारे में जल संसाधन विभाग कार्यपालन अभियंता एवं अन्य अधिकारियों द्वारा स्थल का निरीक्षण किया गया और ग्रामवासियों से चर्चा की। प्रस्ताव तैयार होने के बाद उसे शासन की स्वीकृति के लिए भेजा गया।

शासन से प्रशासकीय स्वीकृति मिलने के उपरांत इस नाले के ऊपर स्टापडेम का निर्माण सह रपटा का कार्य शुरू किया गया। विभागीय अधिकारियों की सतत मॉनीटरिंग के बाद 75 मीटर लंबाई एवं 1.50 ऊंचाई एवं 6 गेट लगाकर स्टापडेम बनकर तैयार हो गया। स्टापडेम से कलकल करता हुआ पानी बहने लगा तो ग्रामीणों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। स्टापडेम तैयार होने के बाद इस नाले में तकरीबन 0.56 मिलियन घन मीटर पानी संरक्षित होने लगा। आसपास के क्षेत्र में यह नाला अब बेहतर पानी के स्रोत के रूप में जाने जा रहा है। इस नाले में बहते हुए पानी ने किसानों की जिंदगी को बदलने का काम किया है, बारिश के पानी का सही संरक्षण होने से किसान अब दोहरी फसल लेने लगे। स्टापडेम में रपटा का निर्माण होने से स्थानीय लोगों को आवागमन में सुविधा हुई है। स्टापडेम से कलकल करते हुए बहते पानी एवं आसपास की हरियाली को देखने के लिए भी लोग पहुंच रहे हैं।

स्टापडेम पाकर किसान हुए गदगद

स्टापडेम निर्माण होने से गांव में जल संरक्षण एवं जल संवर्धन का कार्य होने से आसपास के क्षेत्र में हरियाली की चादर फैलने लगी है। गांव के रहने वाले किसान अमृत लाल केंवट, घनश्याम, फनीराम कश्यप, राजेश खूंटे, खीखराम कश्यप, संतोष कश्यप, कन्हैया कश्यप, सूबेलाल कश्यप का कहना है स्टापडेम बनने दोनों सीजन की फसलों के लिए पानी मिलने लगा है। स्टापडेम बनने के बाद से जलस्तर में सुधार देखने को मिल रहा है, इससे किसानों की जमीन को सिंचित किया जा रहा है। इससे आसपास के किसान लाभान्वित हो रहे हैं और बेहतर मुनाफा कमाकर आर्थिक रूप से समृद्धशाली किसान बनकर उभर रहे हैं। वहीं आसपास की भूमि में नमी की मात्रा बनी रहने लगी है। इसके हैंडपंप, कुआं एवं तालाब के जलस्तर में भी वृद्धि हुई है, जिससे ग्रामीणों को आसानी से गर्मी के दिनों में भी पानी मिल रहा है। यही नहीं कृषकों द्वारा स्टापडेम बनने के बाद नाला के दोनों तरफ साग-सब्जी भी लगाई जा रही है, जिससे उन्हें अतिरिक्त आय हो रही है।

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