कोरबा 20 अगस्त 2023।स्वास्थ्य कर्मचारियों का सोमवार से हड़ताल छ.ग. हैल्थ फेडरेशन के द्वारा 5 सूत्रीय मांगों को लेकर 21 अगस्त 2023 से अनिश्चित कालीन जिला स्तरीय हड़ताल का आगाज कर दीया गया है प्रदेश भर के डॉक्टर, नर्स, ग्रामीण स्वास्थ्य संयोजक के साथ हजारो स्वास्थय कर्मचारी इस आंदोलन में शामिल हो रहें है स्वास्थय फेडरेशन द्वारा 5 सूत्रीय मांग द्वारा जिसमें एएनएम/एमपीडब्ल्यू, नर्सिंग संवर्ग कर्मचारी की वेतन विसंगति, चिकित्सकों के लंबित वेतनमान, भत्ते एवम स्टाइपेंड, मुख्य्मंत्री द्वारा घोषित विषेश कोरोना भत्ता साथ ही चिकित्सालयों
में डॉक्टरों एवम नर्सिंग स्टाफ के साथ शामिल है। ज्ञात हो स्वास्थय विभाग के 12 बड़े संगठन CIDA,JUDA,JDA,FMG,UDFA डॉक्टर एसोसिएशन, डेंटल सर्जन, छ.ग.स्वास्थ्य संयोजक कर्मचारी संघ, नर्सिंग ऑफिसर एसोसिएशन छ.ग., छ.ग. प्रदेश नर्सेज एसोसिएशन, परिचारिका कर्मचारी कल्याण संघ, छ.ग.एनएचएम संघ एवम छ.ग.शास.वाहन चालक संघ शामिल हो रहें हैं, स्वास्थय फेडरेशन के पदाधिकरी डॉक्टर इकबाल हुसैन एवम टार्जन गुप्ता ने बताया कि राज्य के इतिहास में पहली बार ग्रामीण क्षेत्रो के उप स्वास्थ्य केंद्र से लेकर शहरी क्षेत्र के मेडिकल कॉलेज की सेवाएं प्रभावित हो रही है, शासकीय चिकित्सालय, स्वास्थ्य केंद्रों में ओपीडी के साथ पोस्टमार्डम, एमएलसी जैसे अत्यआवश्यक स्वास्थ्य सुविधाओं के साथ साथ आईपीडी वार्ड मे भर्ती मरीजों को मिलने वाली नर्सिंग सेवा भी नर्सिंग कैडर के हड़ताल से प्रभावित होगा/ संघ के जिला अध्यक्ष पन्ना लाल पटेल जी के द्वारा बताया गया है कि ग्रामीण स्वास्थ्य संयोजकों के हड़ताल में जाने से टीकाकरण,प्रसव, मिशन इंद्रधनुष और शिशु संरक्षण जैसे महत्वपूर्ण कार्यक्रम प्रभावित होगा । संघ के जिला आई टी सेल प्रभारी सुनील शर्मा एवम् जिला आई टी सेल सह प्रभारी लव देवांगन ने बताया की इस आंदोलन का कारण राज्य सरकार द्वारा स्वास्थ्य कर्मचारियों के साथ सौतेला व्यवहार है बता दे कि राज्य के चिकित्सक,नर्स एवम स्वास्थ्य संयोजको द्वारा कोरोना जैसे वैशिवक महामारी में सरकार का साथ बिना किसी विरोध के साथ दिया एवम अपने कर्तव्यों का निर्वहन पूरी ईमानदारी से किया । उसके बाद भी लंबित मांगे एवम घोषणाएं पर भी अमल नहीं लाया गया । लंबे समय से सरकार स्वास्थ्य विभाग के स्वास्थ्य संयोजक , नर्सिंग संवर्ग एवम चिकित्सकों कि मांगो कि उपेक्षा कर रही है इस लिए हजारों अधिकारी कर्मचारियों को आंदोलन का राह पकड़ना पड़ा ।