25 मिनट के भाषण में अमित शाह ने महंगाई, बेरोजगारी पर कोई बात नहीं की लोगों पर अपना एजेण्डा थोप कर चले गए, कटघोरा का नाम तक नहीं लिया

In his 25 minute speech, Amit Shah did not talk about inflation, unemployment, he left after imposing his agenda on the people, he did not even mention Katghora

कोरबा/छत्तीसगढ़ विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत ने कोरबा लोकसभा क्षेत्र के ग्राम पसान में जनसमूह को संबोधित किया। एक ओर जहां कटघोरा में भाजपा के केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह चुनावी सभा ले रहे थे तो दूसरी ओर पसान में नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत कांग्रेस प्रत्याशी ज्योत्सना महंत के लिए प्रचार-प्रसार में जुटे रहे।
अपने प्रचार के दौरान डॉ. महंत ने अमित शाह की सभा को लेकर कहा कि उन्होंने तो अपने लगभग 25 मिनट के भाषण में कटघोरा का नाम तक नहीं लिया। अमित शाह ने महंगाई, बेरोजगारी, किसान, मजदूर तक का जिक्र नहीं किया। वे राम-रहमान, हिन्दू-मुसलमान की बात करते रहे। 25 साल का एजेंडा जनता पर थोप कर चले गये। वे आरक्षण की बात तो किये लेकिन लोकसभा का उद्घाटन, राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर दलित पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और वर्तमान राष्ट्रपति द्रौपती मुर्मू को आमंत्रण तक नहीं दिया। जहां अमित शाह 20 करोड़ गरीबों को गरीबी रेखा से बाहर निकालने की बात का झूठ परोस कर चले गए वहीं 80 करोड़ गरीबों को मिल रहे चावल में कटौती की बात पर कुछ नहीं बोले। कोरोना का टीका पर बखान तो किया लेकिन टीका बनाने वाली कंपनी से कितना चन्दा लिया गया, यह नहीं बताए। इलेक्टोरल बॉन्ड पर भी वे कुछ नहीं बोले। 19 साल के  जवानों को ये लोग रिटायरमेंट दे रहे हैं। डॉ.महंत ने कहा कि केन्द्रीय गृहमंत्री कटघोरा आकर भी इससे सटे हसदेव अरण्य क्षेत्र में लाखों वृक्षों की कटाई के मामले में चुप्पी साधे रहे। सरोज पाण्डेय हर बार, बार-बार गांव आती-जाती रही हैं, इतना बड़ा झूठ बोलकर वे यह बताकर चले गये कि झूठ बोलो, बार-बार बोलो, जोर-जोर से बोलो। उन्होंने 400 पार का नारा इसलिए दिया क्योंकि आरक्षण को खत्म करना है। गृहमंत्री अमित शाह ने अपनी पूरी सभा में 15 लाख का वादा, विदेशों से काला धन लाने की बात का वादा, 500 रूपए में सिलेंडर देने का वादा, किसानों की कर्ज माफी के विषय पर एक भी बात नहीं की। डॉ.महंत ने कहा कि भाजपा के नेता इस चुनाव में डरे हुए हैं, क्योंकि उन्हें पता है कि उनकी जमीन खिसक रही है इसलिए वे लच्छेदार भाषणों में जनहित के मुद्दों को, जनता की जरूरतों व उनकी आवाज को गायब कर रहे हैं।
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