असावधानी से बडा से बडा ज्ञानी,त्यागी भी किस प्रकार से माया मोह मे जकडा जा सकता है ,शिव महापुराण कि कथा पर बोले घनश्यामाचार्य जी महाराज

How can even the most knowledgeable and renunciant person get trapped in the illusion due to carelessness? Ghanshyamacharya Ji Maharaj said on the story of Shiv Mahapuran.

कोरबा /सर्व देव शिव मंदिर साडा कालोनी में श्री शिव महापुराण कि कथा प्रयागराज से विराजे श्रीमज्जगदगुरु रामानुजाचार्य स्वामी घनश्यामाचार्य जी महाराज तृतीय दिवस पर, नारद जी को मोह क्यो हुआ
असावधानी से बडा से बडा ज्ञानी ,त्यागी भी किस प्रकार से माया मोह मे जकडा जा सकता है । हम जीवन मे जब भी परमात्मा को भूलकर अपना बाहुबल मानने लगते है तब तब हम अपने लक्ष्य से भटकते हैं स्वामी घनश्यामाचार्य जी ने कहा कि माता पार्वती ने भगवान शिव से पूँछा प्रभू मै जानना चाहती हूँ कि प्रभू श्रीराम ने मनुष्य का शरीर किस कारण से धारण किया
नाथ धरेउ नरतन केहि हेतू । मोहि समझाइ कहेउ वृषकेतु ।।
भगवान शिवजी कहते है देवी जब जब धर्म की हानि होती है ,जब तब समाज मे अभिमानी ,असुर एवं अधर्म की वृद्धि होती है । इतने सारे अत्याचार होते है कि जितना वर्णन शब्दो मे वर्णित न हो सके ,जब साधु ,गाय ,ब्राम्ह्यण , पर अत्यधिक अत्याचार होने लगे तब तब प्रभू अलग अलग रुप मे धरती पर अवतरित होते है । जिस समय जिस शरीर की आवश्यकता होती है प्रभू वही शरीर लेकर अवतरित होते है ।जब वाराह (सूकर) बनने की आवश्यकता थी वाराह बने ,जब नरसिंह बनने की आवश्यकता पडी नरसिंह बने । कभी परशुराम तो कभी वामन ,कच्छप जब जैसी परिस्थित थी तब वैसा ही रुप बनाकर अवतार ग्रहण किया । इस प्रकार अलग अलग शरीर धारण कर के संतो एवं सज्जनो की पीडा हरने के लिये आते है । उसी क्रम मे भगवान श्रीराम पृथ्वी पर मनुष्य बनकर क्यूँ आयें ? किसलिये लीला की ? उसी की चर्चा हम सब करेगें ।
भगवान शिवजी कहते हैं ,देवी ! हम कितना कारण बताये ,प्रभू कभी एक कारण से शरीर धारण नही करते । जब कई कार्य इकठ्ठे हो जाते है तब उनका अवतार होता है । मित्रों भगवान शिव पार्वती जी से कह रहे है –


जनम एक दुइ कहउँ बखानी । सावधान सुनु सुमति भवानी ।।
कितना सुन्दर बिशेषण दिया है यहाँ पर भगवान शिवजी ने माता पार्वती को सुमति भवानी सुन्दर बुद्धिवाली । आपकी बुद्धि अत्यन्त निर्मल है तभी तो ऐसे गूढ विषय को तुमने पूँछा । सावधान कर रहे है भगवान शिव देवी ! यद्यपि तुम्हारी बुद्धि सुन्दर है फिर भी सावधान होकर सुनना और समझना कहीं पूर्व जन्म वाली बुद्धि जागृत न हो जाय । कारण तो कई है फिर भी जनम एक दुइ एक दो जन्म का विस्तार से वर्णन करता हूँ ।
मित्रों वैसे मानस मे भगवान के अवतार के पाँच कारणो का उल्लेख है । पहला जय विजय को श्राप ,दूसरा जालंधर कथा वृन्दा का श्राप , तीसरा कारण नारद द्वारा प्रदत्त श्राप ,चौथा कारण मनु सतरुपा को वरदान एवं पाँचवा कारण प्रतापभानु कथा ।
मित्रों – हम यहाँ पर सभी कारणों पर थोडी थोडी चर्चा करना चाहते है । मानस मे कई कल्पो की कथा का समावेश है भगवान शिवजी पार्वती जी से कह रहे है मुख्य यजमान दशरथ शर्मा कुसुम शर्मा राजेंद्र तिवारी सुबोध शुक्ला प्रमोद शुक्ला देशमुख सर्वजीत सिंह अशोक सिंह पंकज गौतम सुरेश अग्रवाल विजय अग्रवाल एवं आयोजक श्री मानस महिला समिति साडा कालोनी जमनीपाली