होली का दहन रविवार को, धुलेंडी सोमवार को, भाईदूज मनेगी बुधवार को

Holi Dahan will be celebrated on Sunday, Dhulendi on Monday, Bhai Dooj on Wednesday

ग्वालियर। भद्रा होने के कारण होलिका दहन रविवार की आधी रात को होगा। दूसरे दिन सोमवार को होली खेली जायेगी। हिन्दू पंचांग में उदया तिथि का विशेष महत्व होता है। इसलिए व्रत पूर्णिमा सोमवार को मनाई जायेगी और होली भी सोमवार को खिलेगी।इसलिए उदया तिथि के अनुसार भाईदूज बुधवार को शुभ मुहूर्त मनाई जायेगी।

वैदिक पंचांग के अनुसार, फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 24 मार्च सुबह नौ बजकर:55 से शुरू होगी और इस तिथि का समापन 25 मार्च दोपहर 12:29 पर होगा. हिन्दू धर्म में उदया तिथि को विशेष महत्व दिया जाता है. ऐसे में फाल्गुन पूर्णिमा व्रत 25 मार्च 2, सोमवार के दिन रखा जाएगा और इसी दिन होली का पर्व हर्षोल्लास के साथ देशभर में मनाया जाएगा. बता दें कि फाल्गुन पूर्णिमा को वसंत पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. ऐसा इसलिए क्योंकि यह वसंत ऋतु के मध्य में आने वाली पूर्णिमा तिथि होती है I

भाई दूज बुधवार को मनाई जायेगी

ज्योतिषाचार्य महात्मा प्रसाद तिवारी ने बताया कि होली के बाद द्वितीया तिथि को भाई दूज कहा जाता है। पारंपरिक रूप से यह पर्व भाई-बहन के बीच स्नेह के बंधन को मजबूत करता है। बहुत जगह भाई दूज को भ्रात द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है। भाई दूज के दिन बहनें अपने भाई के माथे पर तिलक लगाती हैं और फल, मिठाई आदि चीजें देकर उसकी लंबी आयु की कामना करती हैं। वहीं भाई भी बदले में अपनी बहन को हर विषम परिस्थिति में उसकी रक्षा का वचन देता है। मान्यता है कि भाई दूज पर बहनों के तिलक लगाने से भाई की आयु बढ़ती है और उसके सभी संकट दूर होते हैं।

होली भाई दूज पर तिलक का शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि की शुरुआत 26 मार्च को दोपहर दो बजकर 55 मिनट पर होगी।अगले दिन 27 मार्च को शाम 05 बजकर 06 मिनट पर इसका समापन होगा। 27 मार्च को भाई को टीका करने के लिए दो शुभ मुहूर्त हैं।

होली भाई दूज पर भाई को तिलक के मुहूर्त

-पहला मुहूर्त- सुबह 10.54 से दोपहर 12.27

-दूसरा मुहूर्त- दोपहर 03.31 से शाम 05.04 बजे तक रहेगा।

होली भाई दूज पर तिलक करने की विधि

सबसे पहले होली की भाई दूज पर अपने भाइयों को भोजन का निमंत्रण दें।भाई का प्रेम पूर्वक स्वागत कर उन्हें चौकी पर बैठाएं। ध्यान रहे भाई का मुख उत्तर-पश्चिम दिशा में होना चाहिए। अब कुमकुम से तिलक कर चावल लगाएं। भाई को नारियल देकर समस्त देवी-देवता से उसकी सुख, समृद्धि दीर्घायु की कामना करें। अब भाई बहन को उपहार में सामर्थ्य अनुसार भेंट करें। भाई को भोजन कराएं।