उच्च जोखिम गर्भवती महिलाओं की पहचान और देखभाल पर स्वास्थ्य विभाग का विशेष जोर

Health department's special emphasis on identification and care of high-risk pregnant women

कोरबा, 06 दिसंबर 2025। महिलाओं के स्वास्थ्य और सुरक्षित मातृत्व को प्राथमिकता देते हुए स्वास्थ्य विभाग ने उच्च जोखिम गर्भवती महिलाओं (High Risk Pregnancy) की पहचान और नियमित देखभाल को लेकर विशेष निर्देश जारी किए हैं। विभाग का कहना है कि जिन गर्भवती महिलाओं में विशेष चिकित्सकीय स्थितियाँ या जटिलताएँ पाई जाती हैं, उन्हें तुरंत नजदीकी हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में संपर्क कर आवश्यक परीक्षण और उपचार कराना चाहिए।

विभाग के अनुसार 35 वर्ष से अधिक या 17 वर्ष से कम आयु की गर्भवती महिलाएँ उच्च जोखिम की श्रेणी में आती हैं। इसके अलावा डायबिटीज, थायरॉइड, मिर्गी, उच्च रक्तचाप, हृदय या किडनी संबंधी बीमारियों से पीड़ित गर्भवती महिलाओं में भी प्रसव के दौरान जटिलताओं की संभावना अधिक रहती है। दो या अधिक बार गर्भपात होना, पिछला प्रसव ऑपरेशन से होना, सिफिलिस, टीबी या एचआईवी संक्रमण, एनीमिया, धूम्रपान या शराब जैसी आदतें भी गर्भावस्था को हाई रिस्क बनाती हैं।

गर्भ में बच्चे की स्थिति आड़ी, तिरछी या उल्टी होना, पिछली गर्भावस्था में जटिलताएँ रहना और किसी भी प्रकार की पुरानी बीमारी भी गर्भवती महिला को जोखिम की श्रेणी में लाती हैं। स्वास्थ्य विभाग ने बताया कि यदि गर्भवती महिला को अत्यधिक सिरदर्द, धुंधला दिखाई देना, तीव्र पेट दर्द, हाथ-पैर या चेहरे में सूजन, रक्तस्त्राव या पानी जैसा रिसाव हो, या फिर बच्चे की हरकत कम महसूस हो—ऐसी स्थिति में तुरंत स्वास्थ्य केंद्र से संपर्क करना चाहिए।

विभाग ने कहा कि उच्च जोखिम गर्भवती महिलाओं को नियमित जांच, समय पर दवा सेवन, संतुलित और पौष्टिक आहार, पर्याप्त आराम और तनाव से बचाव अत्यंत आवश्यक है। डायबिटीज और बीपी जैसी स्थितियों को नियंत्रण में रखना भी अनिवार्य बताया गया है। प्रसव के लिए समय पर उचित योजना बनाना गर्भवती और शिशु दोनों की सुरक्षा सुनिश्चित करता है।

स्वास्थ्य विभाग ने सभी गर्भवती महिलाओं और उनके परिजनों से अपील की है कि किसी भी जोखिम या असामान्य लक्षण को नजरअंदाज न करें। समय पर जांच, उपचार और जागरूकता ही सुरक्षित प्रसव और स्वस्थ मातृत्व की दिशा में सबसे महत्वपूर्ण कदम हैं।