CG: पत्नी के साथ जबरन अप्राकृतिक यौन संबंध अपराध नहीं’, छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का बड़ा फैसला

Forced unnatural sex with wife is not a crime', Chhattisgarh High Court's big decision

News: छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि अगर पति अपनी वयस्क पत्नी के साथ उसकी सहमति के बिना भी यौन संबंध या अप्राकृतिक यौन क्रिया करता है तो उसे अपराध नहीं माना जा सकता। छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने कहा कि किसी पति पर अपनी बालिग पत्नी के साथ उसकी सहमति के बिना भी हर तरह का अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने के लिए भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 376 के तहत दुष्कर्म या धारा 377 के तहत अप्राकृतिक यौन संबंध के अपराध के लिए मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है।

अप्राकृतिक यौन संबंध सज़ा के लायक नहीं

मामले में एक व्यक्ति शामिल है, जिसकी पत्नी की अप्राकृतिक यौन संबंध के बाद अस्पताल में मृत्यु हो गई। डॉक्टर ने कहा कि उसको पेरिटोनिटिस और मलाशय में छेद की बीमारी हो गई थी। छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने हाल के एक फैसले में कहा कि एक पुरुष और उसकी वयस्क पत्नी के बीच अप्राकृतिक यौन संबंध सजा के लायक नहीं है।

भारत में वैवाहिक बलात्कार कानून द्वारा दंडनीय नहीं है। हाई कोर्ट के फैसले में अब अप्राकृतिक यौन संबंध को भी सजा के दायरे से बाहर कर दिया गया है। अप्राकृतिक यौन संबंध और गैर इरादतन हत्या के आरोपी को ट्रायल कोर्ट ने दोषी ठहराया था, लेकिन हाई कोर्ट से राहत मिल गई।

ये है पूरा मामला

आरोपी को 2017 में गिरफ्तार किया गया था, जब उसकी पत्नी की मृत्यु के बाद उस पर भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 376 (बलात्कार), 377 (अप्राकृतिक यौन संबंध) और 304 (हत्या के समान अपराध) के तहत आरोप लगाए गए थे. पत्नी ने मृत्यु से पहले मजिस्ट्रेट के सामने दिए गए अपने बयान में आरोप लगाया था कि उसके पति ने जबरन अप्राकृतिक यौन संबंध बनाए, जिसके कारण वह बीमार हो गई।

हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि IPC की धारा 375 (बलात्कार की परिभाषा) में 2013 में किए गए संशोधन के अनुसार, यदि पत्नी की आयु 15 वर्ष से अधिक है, तो पति द्वारा अपनी पत्नी के साथ किया गया यौन संबंध बलात्कार नहीं माना जाएगा. इसलिए, पत्नी की सहमति के बिना किए गए अप्राकृतिक यौन संबंध को भी अपराध नहीं माना जा सकता।

कोर्ट ने कही ये बात

अदालत ने कहा कि यदि पत्नी 15 वर्ष से अधिक उम्र की है, तो पति द्वारा “किसी भी संभोग” या यौन कृत्य को किसी भी परिस्थिति में दुष्कर्म नहीं कहा जा सकता है और इस तरह, अप्राकृतिक कृत्य के लिए पत्नी की सहमति की अनुपस्थिति महत्व खो देती है। इसलिए अपीलकर्ता के खिलाफ आईपीसी की धारा 376 और 377 के तहत अपराध नहीं बनाया जा सकता।