पहली बार : ज़मीन से 400 मीटर नीचे उतरकर इन्फ़्लूएंसर्स ने जाना कोयले के बारे में…

For the first time: Influencers went 400 meters below the ground to learn about coal…
  • एसईसीएल में 4 दिन के दौरे पर रहे देश के 5 जाने-माने सोशल मीडिया इनफ्लूएनसर


कोरबा, 12 जनवरी (वेदांत समाचार)। दुनिया की दूसरी सबसे खदान गेवरा में देखा कैसे निकाला जाता है कोयला, सीएसआर लाभार्थियों से भी हुए रूबरू, जाना कंपनी के पर्यावरण संरक्षण के प्रयासों के बारे में
कोयला मंत्रालय एवं एसईसीएल के संयुक्त प्रयास से देश में पहली बार सोशल मीडिया इन्फ़्लूएंसर्स द्वारा एक कोल पीएसयू का दौरा किया गया।


सोशल मीडिया इनफ़्लूएंसर्स को कोल इंडस्ट्री से रूबरू करवाने वाली पहली कंपनी है एसईसीएल


दिनांक 07 जनवरी से 10 जनवरी के बीच देश के 5 जाने-माने सोशल मीडिया इन्फ़्लूएंसर्स ने एसईसीएल का दौरा किया। दौरे के दौरान इन इन्फ़्लूएंसर्स ने कंपनी की खदानों एवं सीएसआर परियोजनाओं का दौरा कर देश की उन्नति में कोयला उद्योग के योगदान को करीब से जाना।


विश्व की दूसरी सबसे बड़ी कोयला खदान के ग्राउंड ज़ीरो पर पहुंचे इन्फ़्लूएंसर्स, सीपेट में एसईसीएल के कौशल विकास प्रोग्राम के लाभार्थियों से मिले


इन्फ़्लूएंसर्स ने कोरबा जिले में स्थित दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी कोयला खदान गेवरा में ग्राउंड ज़ीरो पर पहुँचकर कोयला उत्पादन, ओबी रिमूवल एवं एफ़एमसी से डिस्पैच के बारे में जाना। इसके साथ ही उन्होने केंद्रीय पेट्रोरसायन अभियांत्रिकी एवं प्रोद्योगिकी संस्थान (सीपेट) कोरबा जाकर वहाँ एसईसीएल द्वारा सीएसआर के मद से निशुल्क प्रशिक्षण पा रहे स्टूडेंट्स से भी बात की।


ज़मीन से 400 मीटर नीचे उतरकर अंडरग्राउंड माईन पहुंचकर जाना कैसे निकाला जाता है कोयला


ओपनकास्ट खदान के कार्यसंचालन को देखने के बाद इन्फ़्लूएंसर्स ने बैकुंठपुर जिले में संचालित कोल इंडिया की दूसरी सबसे बड़ी अंडरग्राउंड कोल माईन – चरचा आरओ का भी दौरा किया। यहाँ उन्होने मैन राईडिंग कार सिस्टम की मदद से ज़मीन के लगभग 400 मीटर नीचे पहुंचकर कंटीन्यूअस माईनर की मदद से कोल प्रोडक्शन प्रक्रिया के बारे में जाना।


कंपनी के सीएसआर प्रोजेक्ट्स के लाभार्थियों से भी मिले इन्फ़्लूएंसर

इन्फ़्लूएंसर्स ने कंपनी की विभिन्न सीएसआर परियोजनाओं के बारे में जाना। रायपुर में कंपनी के “एसईसीएल की धड़कन” प्रोजेक्ट में दिल की बीमारी का निशुल्क इलाज पा रहे बच्चों एवं उनके माता-पिता से मिलना उनके लिए एक अलग ही अनुभव रहा। इसके साथ ही बिलासपुर में “एसईसीएल के सुश्रुत” योजना के तहत निशुल्क नीट कोचिंग पा रहे बच्चों से मिलकर उन्होने जाना कि किस प्रकार कंपनी की यह पहल कोयलांचल के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के बच्चों के डॉक्टर बनने के सपनों को पंख दे रही है।


मियावाकी पौधरोपण, सोलर प्रोजेक्ट एवं केनापरा ईको-पर्यटन स्थल ने किया प्रभावित


दौरे के दौरान कंपनी के सतत-धारणीय विकास के प्रयासों जैसे मियावाकी पौधरोपण, सोलर प्रोजेक्ट एवं केनापारा ईको-पर्यटन स्थल ने इन्फ़्लूएंसर्स को काफी प्रभावित किया।


कोयला मंत्रालय से आए गौरव गुप्ता ने कहा कि माननीय कोयला मंत्री एवं कोयला मंत्रालय द्वारा देश के सामाजिक एवं आर्थिक विकास में कोयला उद्योग के योगदान को जन-जन तक पहुँचाने के लिए सोशल मीडिया के प्रयोग को बढ़ावा दिया जा रहा है।

इन्फ़्लूएंसर बाइट

“जब हमने “एसईसीएल के सुश्रुत” योजना के स्टूडेंट्स से बात की तो हमें पता चला कि सभी बच्चों में टैलेंट कूट-कूट कर भरा है और इन्हें बस सपोर्ट की ज़रूरत है और एसईसीएल के प्रयास से ये भी अपना डॉक्टर बनने का सपना पूरा कर पाएंगे।“

  • अंजू शर्मा, ट्रैवल एवं लाइफस्टाइल इन्फ़्लुएन्सर, मनाली

“बच्चों से मुझे बेहद लगाव है और यहाँ आकर मैंने देखा कि एसईसीएल द्वारा सत्य साईं संजीवनी अस्पताल के साथ मिलकर धड़कन प्रोजेक्ट के तहत इन मासूम बच्चों के दिल की बीमारी का इलाज बिलकुल निशुल्क किया जा रहा है जोकि बेहद सराहनीय प्रयास है।“

  • सिमरन, ट्रैवल कंटैंट क्रिएटर, जम्मू एवं कश्मीर