पहली बार बच्चे का अंगदान : दौड़ लगाते समय गोल पोस्ट गिरने से हुआ था घायल, ग्रीन कॉरिडोर बनाकर पहुंचाए गए अंग

First time organ donation by a child: He was injured when a goal post fell on him while running, organs were delivered by creating a green corridor

कोरबा /छत्तीसगढ़ में पहली बार बच्चे का अंगदान किया गया। 11 साल का प्रखर 6 दिनों से रायपुर के हॉस्पिटल में भर्ती था। वह दर्री के लाल ग्राउंड में दौड़ लगाते वक्त हादसा हुआ था दौड़ लगाते समय लाल ग्राउंड पर फुटबॉल का स्ट्रक्चर (गोल पोस्ट) उसके सर के ऊपर गिर जाने के कारण उसके सर पर गंभीर चोट आई हुई थी जो पास सीएसईबी हॉस्पिटल में उसे ले जाया गया वहां से एनकेज से रायपुर रिफर कर दिया गया उनकी माता मंजू साहू और पिता रमेश साहू 1 जून 2024 से अपने बच्चे के ठीक होने का इंतज़ार कर रहे थे। लेकिन 5 जून को ब्रेन डेड घोषित किया गया।

प्रखर कक्षा सातवीं का छात्र था  पढ़ाई और खेलकुद के साथ-साथ शास्त्रीय संगीत में भी गहरी रुची रखता था उसने अखिल भारतीय गांधर्व महा- विद्यालय मंडल मुंबई से संबह सैस्था श्रीगणेश संगीत कलानिकेतन विद्युत्त नगर दर्री के कला गुरु श्री गणेश बरेठ से शास्त्रीय गायन में मध्यमा पूर्ण की शिक्षा ले रहा था दोस्तों के साथ दौड़ लगाते समय खेलते खेलते फुटबॉल के स्टैंड से उसके सिर पर गहरी चोट लग गई थी। ब्रेन डेड होने की वजह से डॉक्टरों ने उसके माता पिता को अंगदान करने का सुझाव दिया। यह सुनकर उनकी माता मंजू साहू के आंख में आंसू से भर आई और हिम्मत बांधते हुए प्रखर के माता मंजू साहू  पिता ने अपने बच्चे के अंगों (किडनी, लिवर, कॉर्निया और हार्ट वाल्व) दान करने का फैसला लिया। प्रखर रामकृष्ण हॉस्पिटल में भर्ती था जहां उसका लिवर और एक किडनी दान की गई।

वहीं एक किडनी AIIMS रायपुर AIIMS Raipur पहुंचाई गई। इसके साथ ही कॉर्निया डॉ. भीमराव आंबेडकर मेमोरियल हॉस्पिटल को और हार्ट वाल्व सत्य साई हॉस्पिटल नवा रायपुर को दिया गया। इस मौके पर रायपुर के पुलिस प्रशासन का भी योगदान रहा, ग्रीन कॉरिडोर बनाकर सही समय में अंगों को जरूरतमंद व्यक्ति तक पहुंचाया गया।प्रखर छत्तीसगढ़ में बाल्य मृतक अंगदान में पहला बच्चा है, जिसने दूसरों को जीने का मौका दिया है। रामकृष्ण के डॉक्टर ने 66 साल के पुरुष में लीवर और 43 साल की महिला में किडनी ट्रांसप्लांट की। वहीं किडनी एम्स रायपुर में 10 साल के बच्चे में लगाया गया। इस अंगदान से बहुत से लोगों में हिम्मत बंधी है।