जांजगीर चांपा के छोटे से जंगल में फंसा हाथी, कर्नाटक से बुलवाए गए विशेषज्ञ, वन्यजीव प्रेमी ने पीसीसीएफ वाइल्डलाइफ को लिखा पत्र कहा जनहानि या हाथी को नुकसान पहुंचेगा तो पीसीसीएफ जिम्मेदार

Elephant trapped in a small forest of Janjgir Champa, experts called from Karnataka, wildlife lover wrote a letter to PCCF Wildlife saying that if there is loss of life or harm to the elephant then PCCF will be responsible

रायपुर 18 अगस्त। 12 दिन पहले कोरबा से जांजगीर चांपा के पंथोरा गांव के पास के छोटे से जंगल में पहुंचे एक हाथी को बाहर नहीं निकलने दिया जा रहा है। वन विभाग की असफलता पर रायपुर के वन्यजीव प्रेमी नितिन सिंघवी ने प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) को पत्र लिखा कर कहा है कि है जनहानि या हाथी को नुकसान पहुंचेगा तो वह जिम्मेदार होंगे।

“मुझे आपको यह बताते हुए बहुत दुख हो रहा है कि आपकी विशेषज्ञता के तहत पिछले 12 दिनों से जांजगीर चांपा जिले के पंतोरा के पास एक छोटे से जंगल में एक हाथी, उसकी इच्छा के विरुद्ध, फंस गया है। इस छोटे से जंगल के चारों ओर गांव हैं। हाथी प्रत्येक रात को निकलने का प्रयत्न कर रहा है परन्तु ग्रामीण हल्ला मचा कर, कुछ शराब पीकर उसे परेशान करते है, कुछ जंगल में घुस जाते है, जिससे वह वापस जंगल में चला जाता है। विश्वस्त सूत्रों से यह भी पता चला है कि वहां के अधिकारी ने हाथी के खिलाफ अधिकतम सख्ती का आदेश दिया है। इसके अलावा हाथी को लगातार कुनकी हाथी द्वारा परेशान किया जा रहा है और भगाया जा रहा है।

स्थिति को नियंत्रित करने के लिए, आपने कर्नाटक से एक तथाकथित हाथी विशेषज्ञ को बुलाया है, जो पशु और मत्स्य पालन विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसर और पशु आनुवंशिकी और प्रजनन में विशेषज्ञ हैं।

तीन दिन पहले, मेरे द्वारा आपसे अनुरोध किया था कि हाथी को शांति से दूसरे जंगल में जाने दे और इसके लिए बीएनएसएस की धारा 163 (पुरानी धारा 144) सहायता ली जाये परन्तु आप में इच्छा शक्ति की कमी प्रतीत होती है।

कृपया ध्यान दें कि यदि आपकी अक्षमता और कृत्यों के कारण कोई जन हानि या चोट लगती है, तो आप पूरी तरह से जिम्मेदार होंगे। इसी तरह, यदि हाथी को कोई नुकसान या चोट लगती है, तो आप इसके लिए पूरी तरह से जिम्मेदार होंगे। हाथी के बिजली के झटके या किसी अन्य कारण से मरने की बहुत अधिक संभावना है। अधोहस्ताक्षरकर्ता हाथी को शांतिपूर्वक आगे बढ़ने देने और यदि आवश्यक हो तो ग्रामीणों को नियंत्रित करने के लिए बल से सहायता लेने का अपना अनुरोध दोहराता है।”