कोरबा/ एचटीपीएस लाल मैदान में भोजली उत्सव के दौरान, सांस्कृतिक कार्यक्रम, प्रतियोगिताएं और भोजली विसर्जन का आयोजन किया गया। देवी गंगा देवी गंगा लहर तुरंगा के गीत को गाकर महिलाएं ने पारंपरिक रूप से गीत गाकर मनाया
भोजली के इस पर्व के संरक्षण के लिए प्रतिवर्ष भोजली उत्सव समिति एच.टी.पी.एस. दर्री-कोरबा के द्वारा भोजली प्रतियोगिता का आयोजन एचटीपीएस लाल मैदान दर्री में किया गया। इस प्रतियोगिता में सैकड़ो की संख्या में प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया
नागरिकों की उपस्थित में आकर्षक भोजली का चयन किया गया। प्रथम,द्वितीय और तृतीय स्थान पर रहे युवतियों व महिलाओं को पुरस्कृत किया गया।

यह त्यौहार छत्तीसगढ़ में मित्रता और अच्छी फसल की कामना के साथ मनाया जाता है। इस दिन, लोग एक-दूसरे को भोजली भेंट करते हैं और सामूहिक रूप से भोजली का विसर्जन तालाब या नदी में करते हैं।
भोजली त्यौहार, जिसे छत्तीसगढ़ में “मितान” या “सखी” त्यौहार के रूप में भी जाना जाता है, रक्षाबंधन के दूसरे दिन मनाया जाता है। यह त्यौहार गेहूं या जौ के पौधों को नौ दिनों तक रोपकर, उनकी पूजा करके और फिर उन्हें पानी में विसर्जित करके मनाया जाता है।
इस त्यौहार में, महिलाएं विशेष रूप से अविवाहित लड़कियां भोजली देवी की पूजा करती हैं। वे भोजली को “भोजली दाई” या “पीली बाई” के रूप में पूजती हैं।
भोजली का विसर्जन, जो आमतौर पर नदी या तालाब में किया जाता है, अच्छी फसल और समृद्धि की कामना के साथ किया जाता है। यह त्यौहार छत्तीसगढ़ की लोक संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।







