कोरबा, 13 जनवरी 2025: छत्तीसगढ़ के उद्योग एवं श्रम मंत्री लखनलाल देवांगन पर हाल ही में वायरल हुए वीडियो और महिलाओं के विरोध प्रदर्शन से जुड़ी घटनाओं को लेकर राजनीति में हलचल मच गई है। मंत्री लखनलाल देवांगन, जो अपनी सादगी और जनसेवा के लिए प्रसिद्ध हैं, के खिलाफ लगातार बेबुनियाद आरोपों का आना क्या साजिश का हिस्सा है?
यह विवाद तब शुरू हुआ जब फ्लोरा मैक्स नामक कंपनी ने हजारों महिलाओं के साथ ठगी की। कंपनी ने महिलाओं को स्वरोजगार के नाम पर भारी लोन लेने के लिए मजबूर किया और फिर फर्जी तरीके से फरार हो गई। इसके बाद महिलाएं कर्ज के बोझ से दब गईं और अपनी राशि वापस दिलवाने के लिए कोरबा के आईटीआई चौक पर अनशन करने लगीं।
वायरल वीडियो का सच
सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें मंत्री देवांगन के बयान को गलत तरीके से पेश किया गया। वीडियो में मंत्री ने महिलाओं से कहा था, “शासन-प्रशासन आपकी मदद करेगा, लेकिन कानून का पालन भी आवश्यक है।” हालांकि, उनके इस बयान को तोड़-मरोड़ कर विवाद खड़ा कर दिया गया।
सरकार और प्रशासन की पहल
महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए प्रशासन ने कड़ा कदम उठाया है। कलेक्टर अजीत वसंत के नेतृत्व में छह सदस्यीय जांच दल गठित किया गया है, जो यह जांच करेगा कि लोन देने वाली कंपनियों ने आरबीआई के दिशा-निर्देशों का पालन किया था या नहीं।
मंत्री राम विचार नेताम ने महिलाओं से कहा, “ठगी करने वालों को सजा दिलाई जा रही है। सरकार पूरी कोशिश कर रही है कि उनकी जमा राशि वापस दिलाई जाए।”
पूरे मामले में यह सवाल उठता है कि क्यों मंत्री लखनलाल देवांगन को बार-बार विवादों में खींचा जा रहा है। क्या विपक्ष ने जानबूझकर इस मुद्दे को राजनीतिक रंग देने की कोशिश की है? महिलाओं के आंदोलन में राजनीतिक तकरार को देखते हुए यह स्पष्ट प्रतीत होता है कि विपक्ष सरकार की कोशिशों को अनदेखा कर राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश कर रहा है।
मंत्री देवांगन ने महिलाओं से अपील की थी कि वे संयम रखें और प्रशासन के साथ सहयोग करें। उन्होंने यह भी कहा, “हम महिलाओं के साथ हैं और ठगों को सजा दिलाई जाएगी।”
क्या यह साजिश है?
किसी भी तरह से यह कहना गलत नहीं होगा कि मंत्री देवांगन पर लगाए गए आरोपों के पीछे एक साजिश हो सकती है। उनके खिलाफ आरोपों के बावजूद, उन्होंने हमेशा अपनी सादगी और जनहित में काम किया है। इस पूरे घटनाक्रम से यह साफ लगता है कि विपक्ष इस मुद्दे को राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल करने की कोशिश कर रहा है।
प्रशासन की कार्यवाही और महिलाओं की नाराजगी
प्रशासन द्वारा ठगी के आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा रही है, लेकिन महिलाओं का गुस्सा शांत नहीं हुआ। क्या वे अब भी महसूस कर रही हैं कि उन्हें न्याय नहीं मिल रहा है, या फिर उन्हें किसी बाहरी ताकत ने उकसाया है?
मंत्री देवांगन ने कहा, “किसी भी योजना में धोखाधड़ी को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। हम ठगों को सजा दिलाएंगे और महिलाओं की राशि वापस दिलाने का प्रयास कर रहे हैं।”
क्या यह राजनीतिक साजिश है?
अब यह सवाल उठता है कि क्या इस आंदोलन को राजनीतिक रूप से भड़काया जा रहा है? क्या विपक्षी दलों ने इसे अपनी राजनीति चमकाने के लिए बढ़ावा दिया है, ताकि मंत्री देवांगन और सरकार को नुकसान पहुंचाया जा सके?
यह मुद्दा अब सिर्फ ठगी का नहीं, बल्कि राजनीतिक साजिश का रूप लेता दिख रहा है। मंत्री लखनलाल देवांगन ने इसे एक साजिश करार दिया है, जिसका उद्देश्य उनकी छवि को खराब करना है।
आखिरकार क्या होगा?
मंत्री लखनलाल देवांगन और प्रशासन इस मुद्दे का समाधान निकालने में लगे हुए हैं, लेकिन सवाल यह है कि क्या यह आंदोलन अब किसी राजनीतिक खेल में बदल चुका है? क्या महिलाएं अपने असली मुद्दे से भटक रही हैं या फिर वे राजनीतिक दबाव में हैं?
सामूहिक रूप से यह कहा जा सकता है कि मंत्री देवांगन और सरकार ने महिलाओं के पक्ष में कई कदम उठाए हैं। जांच प्रक्रिया जारी है और दोषियों को सजा दिलाने के प्रयास हो रहे हैं।
विपक्ष को चाहिए कि वह सरकार के प्रयासों का समर्थन करे और इस मुद्दे को सुलझाने में सहयोग दे, बजाय इसके कि इसे राजनीतिक हथकंडा बना दे। मंत्री देवांगन और नेताम ने यह स्पष्ट किया है कि शासन-प्रशासन महिलाओं के साथ है और उन्हें न्याय दिलाना सरकार की प्राथमिकता है।