पानी की तलाश में भटकते चीतल की वाहन की चपेट में आने से मौत

Chital wandering in search of water dies after being hit by vehicle

कोरबा,07 मार्च । पाली वन परिक्षेत्र के दमिया के पास बिलासपुर- अंबिकापुर राष्ट्रीय राजमार्ग पर भारी वाहन की चपेट में आने से मादा चीतल की मौत हो गई है। पोस्टमार्टम में उसके गर्भवती होने का पता चला है। इस मार्ग में एक हफ्ते के भीतर चीतल की मौत की यह दूसरी घटना है। वन विभाग ने वन्य प्राणियों के लिए जंगल में छोटे तालाब और सासर पीट के निर्माण में लाखों रुपये खर्च किए हैं। इसके बावजूद हर साल गर्मी में पानी की तलाश में अकेले कोरबा जिले में एक दर्जन से चीतल व हिरण की मौत होती है। ऐसे में पानी की पर्याप्त व्यवस्था किए जाने की दावों की पोल खुल गई है।

छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में दो वनमंडल कोरबा व कटघोरा क्षेत्र हैंँ। यहां चार वन परिक्षेत्र पाली, चैतमा, कुदमुरा व करतला में करीब 400 चीतल व हिरण विचरण कर रहे हैं। गर्मी का मौसम इनके लिए जानलेवा साबित होता है। दोपहर को एक बजे अधिक धूप होने की वजह से प्यास बुझाने पानी की तलाश में यहां-वहां भटकने लगते हैं। वन विभाग ने चीतल की अधिक संख्या वाले वन क्षेत्र में छोटे तालाबों का निर्माण किया है।वन परिक्षेत्र पाली के रेंजर संजय लकड़ा ने बताया कि चीतल व अन्य वन्य प्राणी को गर्मी में भी पीने को पर्याप्त पानी मिल सके इसके लिए एक दर्जन से भी अधिक छोटे तालाब विकसित किए गए हैं। अधिक स्थानों पर पानी उपलब्धता के लिए सासर पीट बनाकर छोटे तालाबों से जोड़ा गया है। कुछ और स्थल चयनित किए गए हैं, जहां निर्माण कार्य चल रहा है। चीतल की मौत न हो इसके लिए वन विभाग पूरा प्रयास कर रहा है।

हर साल औसतन पांच चीतल की जान ले लेते हैं कुत्ते

बीते वर्ष पाली व करतला वन परिक्षेत्र में पानी की तालाश में भटककर रिहायशी इलाकों में पहुंचे पांच चीतल को गली में घूमने वाले कुत्तों ने अपना शिकार बनाकर मार डाला। चीतल सूर्योदय के पहले ही चारा ढूंढना शुरू कर देते हैं और अधिक समय छाया के नीचे आराम करने और सूर्य की किरण से बचने में समय व्यतीत होता है। गर्मी शुरू होने से जंगल के जल स्त्रोत सूखने लगे हैं। चीतल के लिए स्थल तब तक उपयुक्त रहता है जब तक पानी की आवश्यकता पूरी होती है। पानी की कमी होते ही चीतल स्थल बदल प्रवास पर निकल जाता है। इस बीच वह झुंड से भी अलग हो दुर्घटना का शिकार हो जाता है।