छत्तीसगढ़ में सर्दी ने जोर पकड़ लिया है। राज्य के उत्तरी और मध्य हिस्सों में अगले पांच दिनों तक शीतलहर चलने की संभावना जताई गई है। मैनपाट, पेंड्रा और अंबिकापुर में तापमान में भारी गिरावट देखी गई है, जबकि दुर्ग मैदानी इलाकों में सबसे ठंडा स्थान बना हुआ है। बढ़ती ठंड के कारण लोग अलाव का सहारा ले रहे हैं और मौसम विशेषज्ञों ने स्वास्थ्य संबंधी सावधानियां बरतने की सलाह दी है।
रायपुर 12 नवंबर 2025। छत्तीसगढ़ में सर्दी ने अब पूरी तरह दस्तक दे दी है। मौसम विभाग ने राज्य के उत्तरी और मध्य क्षेत्रों में अगले पांच दिनों तक शीतलहर चलने की चेतावनी जारी की है। मैनपाट, पेंड्रा और अंबिकापुर जैसे इलाकों में सुबह-शाम कंपकंपी छुड़ाने वाली ठंड महसूस की जा रही है।
मैनपाट में बर्फ जमी ओस की बूंदें
प्रदेश के सबसे ठंडे स्थान मैनपाट में तापमान मंगलवार को न्यूनतम 4 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया। यहां घास पर जमी ओस की बूंदें जमकर बर्फ में तब्दील हो गई हैं। इसी तरह पेंड्रा और अंबिकापुर में भी सुबह के समय घना कोहरा छाया हुआ है, जिससे विजिबिलिटी (दृश्यता) काफी कम हो गई है।लोग ठंड से बचने के लिए सुबह-शाम अलाव जलाकर खुद को गर्म रखने की कोशिश कर रहे हैं। गांवों और कस्बों में बच्चे और बुजुर्ग अलाव के आसपास बैठकर ठंड से राहत पा रहे हैं।
मैदानी इलाकों में भी बढ़ी सर्दी
मैदानी इलाकों में भी सर्द हवाओं का असर बढ़ने लगा है। दुर्ग इस समय प्रदेश का सबसे ठंडा मैदानी इलाका बन गया है। यहां रात का तापमान सामान्य से 7 डिग्री कम होकर 10.2°C दर्ज किया गया।मौसम विभाग के अनुसार, बीते 24 घंटे में प्रदेश में सबसे अधिक अधिकतम तापमान 30.7°C जगदलपुर में और सबसे कम न्यूनतम तापमान 7.6°C अंबिकापुर में रिकॉर्ड किया गया।
नवंबर के मौसम का 90 साल पुराना रिकॉर्ड
मौसम विज्ञान केंद्र के ऐतिहासिक आंकड़ों के अनुसार, नवंबर महीना छत्तीसगढ़ में कभी कड़कड़ाती ठंड तो कभी तेज गर्मी और बारिश का गवाह रहा है।रिकॉर्ड बताते हैं कि 2 नवंबर 1935 को अब तक का सबसे अधिक अधिकतम तापमान 35.6°C दर्ज हुआ था। वहीं 22 नवंबर 1883 को न्यूनतम तापमान 8.3°C रहा, जिसे नवंबर माह की सबसे ठंडी रात माना जाता है।आमतौर पर नवंबर का महीना छत्तीसगढ़ में शांत और स्थिर मौसम का प्रतीक माना जाता है। आसमान साफ रहता है और हवाएं हल्की चलती हैं। कभी-कभी बंगाल की खाड़ी या अरब सागर में बने निम्न दबाव के कारण हल्की बारिश हो जाती है।
स्वास्थ्य पर असर और सावधानियां
मौसम विशेषज्ञों ने बताया कि इस तरह के मौसम में मलेरिया फैलने का खतरा भी बढ़ सकता है। लगातार तापमान में उतार-चढ़ाव से मच्छरों की सक्रियता बढ़ जाती है।रायपुर में पिछले कुछ दिनों से दिन का तापमान प्रदेश में सबसे ज्यादा दर्ज किया जा रहा है, लेकिन सूर्यास्त के बाद तापमान में तेजी से गिरावट देखी जा रही है।मौसम विभाग ने नागरिकों, खासकर स्कूली बच्चों और ऑफिस जाने वालों को सलाह दी है कि वे सुबह-शाम गरम कपड़े पहनें, ताकि ठंड का असर सेहत पर न पड़े।







