CG सरकार का बड़ा फैसला, RTE के जरिए बड़े निजी स्कूलों में दाखिला लेने वाले बच्चों के मेंटर होंगे कलेक्टर

CG government's big decision, collector will be the mentor of children taking admission in big private schools through RTE

रायपुर, 19 जून । छत्तीसगढ़ में शिक्षा प्रणाली को लेकर साय सरकार मोड में आ गई है। सीएम विष्णुदेव साय सरकार ने राइट टू एजुकेशन के तहत दाखिला लेने के बाद 50 परसेंट बच्चों के स्कूल छोड़ देने की कलेक्टरों की रिपोर्ट को गंभीरता से लिया है। जिसको लेकर सरकार ने अब प्रायवेट स्कूलों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है।

सीएम साय ने स्कूल शिक्षा सचिव को दिए निर्देश

सीएम श्री साय ने स्कूल शिक्षा सचिव सिद्धार्थ कोमल सिंह परदेशी को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि छत्तीसगढ़ में प्रायवेट स्कूलों के ड्रॉप आाउट पर किसी भी सूरत में अंकुश लगाया जाए। इसके बाद स्कूल शिक्षा विभाग ने जिले वार कलेक्टर, एसपी, जिला पंचायत सीईओ, नगर निगम कमिश्नर, नगर पालिका अधिकारी की नौ सदस्यीय कमेटी बना दी है।

कलेक्टर प्रायवेट स्कूलों में रखें निगरानी

स्कूल शिक्षा सचिव ने कलेक्टरों को पत्र लिख कहा है कि, प्रायवेट स्कूलों में राइट टू एजुकेशन पर कड़ी निगरानी रखें। साथ ही प्रायवेट स्कूल प्रबंधन को बुलाकर मीटिंग करें और उन्हें आवश्यक निर्देश दें। अगर प्रायवेट स्कूलों में महंगी फीस, महंगी पुस्तकों की वजह से ड्रॉप आउट हो रहा तो उन स्कूलों पर कार्रवाई करें। विष्णुदेव सरकार ने आज इसमें एक और पहल करते हुए तय किया है कि, प्रायवेट स्कूलों में गरीब बच्चों को प्रताड़ना और ड्रॉप आउट से बचाने मेंटर नियुक्त किया जाए। प्रदेश में इस समय 3 लाख 35 हजार विद्यार्थी राइट टू एजुकेशन के तहत ऑन पेपर दाखिला लिए हैं।

स्कूलों के साथ कोआर्डिनेट करें

जिलों के कलेक्टरों से कहा गया है कि, वे अफसरों को उनके मेंटर नियुक्त करें। किसी जिले में राइट टू एजुकेशन के तहत दो हजार बच्चे होंगे और जिले के सभी विभाग मिलाकर 100 होंगे, तो 20 बच्चों पर एक अफसर को मेंटर बनाया जाएगा। प्रायवेट स्कूलों में राइट टू एजुकेशन के तहत दाखिला लिए गरीब बच्चों को ये मेंटर सलाहकार और संरक्षण का कार्य करेंगे। स्कूल में अगर कोई दिक्कत होगी तो मेंटरों का काम होगा कि, वे स्कूलों के साथ कोआर्डिनेट करें। वे बच्चों से सतत संपर्क में रहेंगे कि उन्हें स्कूलों में कोई मानसिक परेशानी का सामना तो नही करन पड़ रहा है। ड्रॉप आउट लेने वाले बच्चों की भी वे निगरानी करेंगे और पता लगाएंगे कि किन परिस्थितियों में बच्चे स्कूल छोड़ रहे हैं।