मरीज के लिये वह हर पल कीमती था, डॉक्टरों ने समय से लड़ी जंग- ज़िंदगी को मिला नया सवेरा

Cada momento fue precioso para el paciente, los médicos lucharon contra el tiempo y la vida tuvo un nuevo amanecer.

बेहद नाजुक स्थिति से मुक्त होकर स्वस्थ हुई रानी

डॉक्टरों की अथक मेहनत और सेवा को सराहा परिवार ने

कोरबा। जहां एक ओर चिकित्सा जगत में कुछ नकारात्मक घटनाएँ चिकित्सकों को असहज महसूस करा रही हैं, वहीं दूसरी ओर लोगों की जान बचाने का जज़्बा उन्हें कमज़ोर नहीं पड़ने देता। न्यू कोरबा हॉस्पिटल (एनकेएच) में एक बेहद गंभीर मामले में यही जज़्बा काम आया और टीम वर्क ने उस मरीज़ को नया जीवन दिया, जिसकी जान पूर्ण रूप से संकट में थी।

0 जीवन-मृत्यु से संघर्षरत मरीज को मिला नया जीवन
कोलकाता निवासी एक चिकित्सक की 28 वर्षीय पत्नी रानी (बदला हुआ नाम) जमनीपाली स्थित अपने मायके आई हुई थीं। 2 जुलाई की रात करीब 2 बजे रानी को अचानक पेट में तेज दर्द हुआ और वह बेहोश हो गईं। उन्हें तत्काल जमनीपाली के एक अस्पताल ले जाया गया, जहां प्राथमिक उपचार के बाद न्यू कोरबा हॉस्पिटल रेफर कर दिया गया।
एनकेएच पंहुचने पर रानी की स्थिति अत्यंत गंभीर थी। उनका ब्लड प्रेशर (बीपी) नहीं था, शरीर में कोई हलचल नहीं थी, केवल पल्स चल रही थी। जांच के बाद पता चला कि थैली फटने के कारण पेट में काफी खून जमा हो गया था, जिसे रप्चर्ड एक्टोपिक कहा जाता है। मरीज़ पूरी तरह से शॉक में थी। रानी के पति उस समय शहर से बाहर थे।
डॉ. एकता चवरे के नेतृत्व में चिकित्सकों की टीम ने परिजनों को पूरी स्थिति समझाने के बाद तुरंत इलाज शुरू किया। सुबह तक सर्जरी कर पेट में जमे हुए खून को बाहर निकाला गया। अत्यधिक रक्तस्राव के कारण रानी को सात यूनिट ब्लड चढ़ाया गया। शरीर में कमजोरी के चलते उन्हें ब्रेन में झटका भी आ चुका था।

0 डॉक्टर की इस टीम ने किया सफल ऑपरेशन और कुशल देखभाल

महिला रोग विशेषज्ञ डॉ. एकता चवरे, एनेस्थीसिया, क्रिटिकल केयर की पूरी टीम और ब्लड बैंक स्टॉप के सहयोग से रानी का सफल ऑपरेशन हुआ। ऑपरेशन के बाद डॉ. एकता, डॉ. अविनाश तिवारी (एमडी मेडिसिन) और न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. मनीष गोयल की देखरेख में उन्हें 5 दिनों तक आईसीयू में रखा गया। स्थिति में सुधार होने पर जनरल वार्ड में शिफ्ट किया गया, और अंततः पूर्ण स्वस्थ हालत में हॉस्पिटल से डिस्चार्ज किया गया।

0 परिवार ने जताया आभार कहा- एनकेएच की टीम वर्क सराहनीय

रानी के चिकित्सक पति ने पूरे उपचार पर संतोष व्यक्त करते हुए कहा कि वे पहले असमंजस में थे कि क्या कोरबा में उनकी पत्नी का सही इलाज हो पाएगा या उन्हें बिलासपुर या रायपुर ले जाना पड़ेगा, लेकिन डॉ. एकता और एनकेएच की टीम ने जिस तरह से इलाज किया, उससे उनका अस्पताल पर विश्वास बढ़ा है। उन्होंने एनकेएच की बेहतर व्यवस्था और टीम वर्क की सराहना करते हुए कहा, सिर्फ संसाधनों का होना ही किसी अस्पताल के लिए पर्याप्त नहीं, बल्कि एक बेहतर टीम का होना भी ज़रूरी है। एनकेएच में बेहतर संसाधनों के साथ टीम वर्क देखने को मिला। यहां चिकित्सक से लेकर सभी स्टाफ काफी सेवाभावी और अपने कर्तव्य के प्रति जवाबदार हैं।” उन्होंने कहा कि उनकी पत्नी का मामला काफी क्रिटिकल था, लेकिन जिस कुशलता से इसे संभाला गया, उसी की वजह से आज रानी स्वस्थ है और अपने पैरों पर चलकर घर लौटी हैं।

0 “यह सिर्फ एक केस नहीं, एक ज़िंदगी थी” – डॉ.  चंदानी
एनकेएच के डायरेक्टर डॉ. एस. चंदानी ने बताया कि यह केस काफी क्रिटिकल और रिस्की था। उन्होंने कहा, “किसी रिस्क से डरकर मरीज़ को उसके हाल पर छोड़ देना या दूसरे बड़े शहर रेफर कर देना ठीक नहीं होता। इस स्थिति में मरीज़ को रेफर करने का मतलब था, उसकी जान को और गंभीर खतरे में डालना, क्योंकि वह पहले से ही शॉक में थी और समय बहुत ही महत्वपूर्ण था।
डॉ. चंदानी ने बताया कि यह एक बेहद मुश्किल निर्णय था, अगर समय गंवाया जाता तो जान नहीं बचती। इसलिए परिवार को पूरी स्थिति समझाकर तत्काल ऑपरेशन का निर्णय लिया गया। उन्होंने जोर देकर कहा, यह हमारे लिए सिर्फ एक केस नहीं था बल्कि एक ज़िंदगी थी। एक डॉक्टर का धर्म यही होता है कि जब किसी को आपकी सबसे ज़्यादा ज़रूरत हो, तब आप पीछे न हटें। उन्होंने बताया कि विश्वास और टीम वर्क के साथ जोखिम लिया गया, जिसके परिणामस्वरूप रानी को नया जीवन मिल सका। डॉ. चंदानी ने मरीज़ के पति, जो स्वयं डॉक्टर हैं, के सहयोग की भी सराहना की। उन्होंने कहा कि एनकेएच की टीम ने अपने अनुभव, दक्षता और सेवाभाव से यह साबित कर दिया कि कोरबा में भी किसी भी गंभीर मामले का सफल इलाज संभव है।