कर्मचारियों के लिए बड़ी खबर, छत्तीसगढ़ में प्रमोशन में आरक्षण नहीं मिलेगा, जीएडी ने जारी किया आदेश

Big news for employees, there will be no reservation in promotion in Chhattisgarh, GAD issued order

रायपुर। प्रमोशन में आरक्षण को राज्य सरकार ने हाईकोर्ट के निर्देश के बाद रद्द कर दिया है। इसे लेकर जीएडी ने निर्देश जारी कर दिया है। दरअसल पिछली सरकार ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग के कर्मचारियों को प्रमोशन में आरक्षण देने वर्ष 2019 में अधिसूचना जारी की थी। जिसके खिलाफ जनहित याचिका समेत अन्य याचिकाओं पर सुनवाई के बाद चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रवींद्र कुमार अग्रवाल की बेंच ने फैसला दिया था।

जिसके आधार पर अब राज्य सरकार के कर्मचारी अधिकारियों को पदोन्नति में आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा। अब पूर्ववत वरिष्ठता क्रम में ही पदोन्नत किए जाएंगे। इससे सामान्य वर्ग के अधिकारी-कर्मचारियों को बड़ा लाभ होगा। सर्वोच्च और उच्च न्यायालयों के आदेश के परिपालन में सचिव जीएडी मुकेश बंसल ने 14 जून को इस आशय का परिपत्र जारी किया है। इसमें दिसंबर 19, फरवरी-20 के आदेशों को निरस्त कर दिया है। छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय बिलासपुर में दायर तीन याचिकाओं पर बीते 16 अप्रैल को पारित अंतिम निर्णय अनुसार राज्य शासन के द्वारा पदोन्नति में आरक्षण के संबंध में जारी छत्तीसगढ लोक सेवा (पदोन्नति) नियम, 2003 में संशोधन 22 और 30अकिटूबर 19 को जारी अधिसूचना को मान्य नहीं किया गया है। इससे पहले दायर याचिका प्रकरणों में उच्च न्यायालय ने 9 दिसंबर 2019 को अंतरिम आदेश पारित किया गया था। उस आधार पर जीएडी के दिसंबर 2019 को समस्त विभागों की ओर जानकारी हेतु प्रेषित किया गया था। विभागों द्वारा उक्त याचिका प्रकरणों में पारित अंतिम आदेश के अध्यधीन रहते हुए पदोन्नति आदेश जारी किया जा रहा है। सामान्य प्रशासन विभाग के उक्त परिपत्र को निरस्त किया जाता है।

अजा और अजजा को प्रमोशन में आरक्षण की नीति सुप्रीम कोर्ट के नियमों और संविधान के अनुच्छेद 16 (4) (ए) और 4 (बी) के प्रावधानों के आधार पर ही बनाई जा सकती है। छत्तीसगढ़ सरकार ने 22 अक्टूबर 2019 को प्रमोशन में आरक्षण का कोटा तय करने को लेकर एक अधिसूचना जारी की इसमें वर्ग-1 से वर्ग-4 तक के अनुसूचित जाति के कर्मचारियों लिए 13 प्रतिशत और अनुसूचित जनजाति कर्मचारियों के लिए 32 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया था। इसे लेकर एस संतोष कुमार ने जनहित याचिका और अन्य ने याचिकाएं लगाई थीं। याचिका में कहा गया कि पदोन्नति में आरक्षण सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों और आरक्षण नियमों के खिलाफ है, लिहाजा इसे निरस्त किया जाए।