दलालों की साजिश में फंसी पुश्तैनी जमीन!  कोरबा निवासी ने कलेक्टर से लगाई गुहार

Ancestral land trapped in a conspiracy by brokers! Korba resident appeals to the collector

कोरबा। ग्राम दादर खुर्द, तहसील व जिला कोरबा निवासी शत्रुघ्न सिंह राजपूत ने अपनी पुश्तैनी भूमि को शासकीय घोषित कर बेचने की कथित साजिश पर जिला प्रशासन से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है।
राजपूत ने इस संबंध में कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक, एसडीएम, तहसीलदार और राजस्व अधिकारियों को लिखित शिकायत सौंपते हुए कहा है कि कुछ जमीन दलालों और भ्रष्ट राजस्व अधिकारियों की मिलीभगत से उनकी पुश्तैनी भूमि को गलत तरीके से सरकारी मद में दर्ज कर अवैध रूप से बेचा जा रहा है।

1956 से परिवार के नाम रही है भूमि

आवेदक के अनुसार, ग्राम दादर खुर्द में स्थित खसरा नंबर 327/1 (0.36 एकड़), 328/1 (1.76 एकड़), 338/1 (0.76 एकड़) और 339/1 (0.40 एकड़) कुल 3.28 एकड़ भूमि उनके पूर्वज अयोध्या सिंह पिता जोगेश्वर सिंह ने वर्ष 1956 में रानी धनराज कुंवर देवी पति दीवान जोगेश्वर प्रसाद सिंह से रजिस्ट्री के माध्यम से खरीदी थी।
यह भूमि उनके परिवार के कब्जे और उपयोग में है तथा इसके सभी दस्तावेज—रजिस्ट्री अनुबंध, ऋण पुस्तिका, अधिकार अभिलेख और वर्ष 1974 तक के राजस्व रिकॉर्ड (खसरा-B1) — उनके नाम पर दर्ज हैं।

गलत सर्वेक्षण से सरकारी मद में दर्ज हुई भूमि

राजपूत का कहना है कि बंदोबस्त सर्वे के दौरान उनकी अनुपस्थिति का लाभ उठाकर इस भूमि को शासकीय भूमि बताकर गलत तरीके से सरकारी खाते में दर्ज कर लिया गया। इस त्रुटि को सुधारने के लिए उन्होंने छत्तीसगढ़ भू-राजस्व संहिता की धारा 89 के तहत प्रकरण दायर किया है, जो वर्तमान में माननीय अनुविभागीय अधिकारी (एसडीएम) कोरबा के समक्ष लंबित है।
उन्होंने बताया कि इस मामले में उच्च न्यायालय ने पहले ही आदेश दिया है कि भूमि को यथास्थिति में आवेदक के नाम दर्ज किया जाए, लेकिन विभागीय स्तर पर इस आदेश के पालन में लापरवाही की जा रही है।

भूमाफियाओं की मिलीभगत का आरोप

राजपूत ने आरोप लगाया कि कुछ जमीन दलालों और अधिकारियों की मिलीभगत से उक्त भूमि को टुकड़ों में बेचा जा रहा है। जब उन्होंने इसका विरोध किया, तो उन्हें गाली-गलौज व जान से मारने की धमकी दी गई।
उन्होंने कहा कि “नया तहसीलदार और पटवारी बिना किसी सीमांकन या वैधानिक प्रक्रिया के 28 अक्टूबर को मेरी निजी भूमि पर ‘शासकीय भूमि’ का बोर्ड लगा गए, जो पूरी तरह अवैध और मनमानी है।”

जाँच और कार्रवाई की माँग

आवेदक ने प्रशासन से मांग की है कि—

  1. भूमि पर हो रहे अवैध कब्जे को तुरंत रोका जाए,
  2. दलालों द्वारा हो रही खरीदी-बिक्री पर रोक लगाई जाए,
  3. पटवारी एवं संबंधित राजस्व अधिकारियों की भूमिका की उच्चस्तरीय जांच कराई जाए,
  4. उच्च न्यायालय के आदेश का पालन सुनिश्चित करते हुए भूमि से “शासकीय भूमि” का बोर्ड हटाया जाए।

“अब अंतिम सांस तक अपनी जमीन की रक्षा करूंगा”

राजपूत ने कहा कि “यह भूमि मेरे और मेरे बच्चों के जीवन-यापन का अंतिम सहारा है। जब तक शासन यह स्पष्ट नहीं करता कि मेरी भूमि किस सीमा में है और किस आधार पर शासकीय घोषित की गई, मैं इसे नहीं छोड़ूंगा। आवश्यकता पड़ी तो अपनी अंतिम सांस भी इसी भूमि पर लूंगा।