अमेरिका ,25अक्टूबर : अमेरिका ने रूस की दो बड़ी तेल कंपनियों- रोसनेफ्ट और लुकोइल पर कड़े प्रतिबंध लगाए है। ये कदम यूक्रेन युद्ध की फंडिंग रोकने के मकसद से उठाया गया है, लेकिन इसका सबसे बड़ा असर भारत पर पड़ने की संभावना है, भारत अपनी कुल तेल जरूरत का लगभग 35 से 40 प्रतिशत हिस्सा रूस से आयात करता है। सस्ते रूसी तेल ने बीते तीन वर्षों में भारत को अरबों डॉलर की बचत कराई थी, मगर अब स्थिति बदलती दिख रही है।
22-23 अक्टूबर को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने घोषणा किया कि रोसनेफ्ट और लुकोइल की सभी विदेशी संपत्तियों को फ्रीज किया जाएगा और अमेरिकी व अन्य सहयोगी देशों की कंपनियों को इनसे व्यापार करने से रोका जाएगा। इसके बाद यूरोपीय संघ ने भी इसी तरह के प्रतिबंध लागू करने की बात कही है। परिणामस्वरूप, वैश्विक तेल कीमतों में 5-7% की बढ़ोतरी हुई और ब्रेंट क्रूड की कीमत $65-70 प्रति बैरल तक पहुंच गई।
भारत प्रतिदिन लगभग 1.5 से 1.7 मिलियन बैरल रूसी कच्चा तेल आयात करता है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि प्रतिबंधों के कारण यह आयात 40-50% तक घट सकता है। इससे देश पर सालाना $2-3 बिलियन का अतिरिक्त बोझ बढ़ेगा। तेल महंगा होने से पेट्रोल और डीजल की कीमतें बढ़ने की आशंका है, जिससे महंगाई पर दबाव बढ़ेगा और जीडीपी में 0.2 से 0.5% की गिरावट संभव है।







