24 साल बाद सास को हाईकोर्ट से राहत, जिद्दी बहू को मायके जाने से रोका तो सुसाइड नोट में लगा दिया था दहेज का कलंक…

After 24 years, mother-in-law got relief from the High Court, when she stopped her stubborn daughter-in-law from going to her maternal home, she had put the stigma of dowry in the suicide note…

बिलासपुर, 29 जुलाई। पति द्वारा रक्षाबंधन पर्व पर मायके नहीं छोड़ने से नाराज पत्नी ने 14 अगस्त 2001 को ट्रेन से कटकर जान दे दी। आत्महत्या से पहले उसने सास ससुर पर दहेज के लिए प्रताड़ित करने का आरोप लगाती हुई चिट्ठी भी लिख दी। बहू को आत्महत्या के लिए प्रेरित करने के आरोप में पुलिस ने जुर्म दर्ज किया और जेल में डाल दिया। निचली अदालत ने सजा भी सुना दी। 24 साल बाद अब जाकर बुजुर्ग सास को राहत मिली है। न्याय की आस में ससुर की जेल में मौत हो गई थी। हाई कोर्ट ने मामले की सुनवाई के बाद निचली अदालत के फैसले को रद करते हुए याचिकाकर्ता सास की रिहाई के आदेश जारी किया है।

आत्महत्या से पहले बहू ने चिट्ठी में आरोप लगाया था कि मेरी सास और ससुर रोज गाली देते हैं। कहते है कि तुम्हारे मां-बाप की गलती का सजा अब तुम भुगते। मैं जब से इस घर में आई हूं, तभी से आज तक मुझे इन लोगों ने गाली ही दी है। कल मेरे बाबा ने हाथ पैर छूकर माफी मांगी, तब भी इन लोगों का गुस्सा नहीं उतरा, इसलिए मैं यह कदम उठाने पर मजबूर हो रही हूं। अगर आप लोगों में से किसी को मेरी लाश मिल जाए तो कृपा करके मेरे घर वालों को दे देंगे।

सुसाइडल नोट बना सजा भुगतने का कारण


पत्र के आधार पर पुलिस ने बुजुर्ग सास-ससुर के खिलाफ दहेज हत्या का अपराध पंजीबद्ध कर अदालत में मुकदमा पेश कर दिया। विचारण न्यायालय ने अप्रैल 2002 में दोनों को धारा 304 बी दहेज हत्या व प्रताड़ना के आरोप में 10 वर्ष की सजा सुनाई।

इसके खिलाफ मृतका की सास ने हाई कोर्ट में अपील पेश की। 24 वर्ष बाद हाई कोर्ट से अपील पर निर्णय आया। हाई कोर्ट ने गवाह दस्तावेज व मृतका के माता पिता के बयान में यह पाया कि अपीलकर्ता सास व ससुर ने कभी भी दहेज की मांग नहीं की है। मृतका जिद्दी स्वभाव व अपनी मनमर्जी करने वाली थी।

2021 में हो गई ससुर की मौत


हाई कोर्ट ने बुजुर्ग सास को सभी आरोप से दोषमुक्त किया है। दहेज की मांग कर बहू की हत्या का माथे पर लगा कलंक 24 वर्ष बाद धूल गया है। मुकदमा लंबित रहने के दौरान ससुर की 2021 में मौत हो गई। हाई कोर्ट ने उनका नाम अपील से डिलीट करने का आदेश दिया था।

2001 में हुई थी शादी


रायपुर निवासी अपीलकर्ता शोभा व सुधाकर राव के पुत्र सतीश की शादी 16 जनवरी 2001 को कामिनी के साथ हुई थी। शादी के 6 माह बाद दहेज के लिए प्रताड़ित करने का आरोप लगाती हुई चिट्ठी लिखी और 14 अगस्त 2001 को टाटानगर-नागपुर पैसेंजर के सामने कूद कर जान दे दी।