जेलों में बंद किशोरों के पहचान के लिये कार्यशाला का आयोजन किया गया

A workshop was organized to identify juveniles lodged in jails

कोरबा 27 जुलाई 2024/माननीय राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के कुशल दिशा-निर्देशों के अनुपालन में दिनांक 27 जुलाई 2024 को एडीआर भवन जिला न्यायालय परिसर कोरबा में किशोर बंदियोें से संबंधित युवाओं को पुनः स्थापित करना: – जेलों में बंद किशोरों की पहचान करने और विधिक सहायता प्रदान करने के लिये अखिल भारतीय अभियान – 2024 के संबंध में कार्यशाला का आयोजन श्री सत्येन्द्र कुमार साहू, माननीय प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कोरबा के मार्गदर्शन में आयोजित किया गया।
माननीय प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश महोदय जी के द्वारा अपने उद्बोधन में कहा गया कि  बाल सक्षम नीति के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु बाल श्रमिक अपशिष्ट, संग्राहक, भिक्षावृत्ति, मादक द्रव्यों के शिकार बच्चों के सर्वेक्षण की कार्यवाही के लिये संबंधित विभाग से जानकारी प्रदान कर सकते है, जिनके अध्यक्ष्ज्ञ जिला कलेक्टर विभाग से जानकारी प्राप्त किया जा सकता है या मिलना चाहिये। यदि अपराधी नाबालिक है तो उसे चिन्हांकित करे ताकि कोर्ट उस अपराधी के उम्र (नाबालिक) को देखने हुये उसकी सजा माफ कर सकती है। अज्ञानतावश या अनजाने में हो गई अपराध के लिये या कोई प्रकार का दावा न कर सके इसलिये चिन्हांकित कर बताये कि वह किशोर है या नाबालिक है, ताकि उसके साथ कोर्ट उचित न्याय कर सकें। किशोर या नाबालिक के साथ बात बरताव को सालिनता से पेश आये और यदि वह किशोर जेल में हो उसे सही न्याय मिलना आवश्यक है जिसके लिये हमंे एक कदम बढ़ाना जरूरी है।  किशोर या नाबालिक के साथ सही बरताव कर उसे पुर्नवास कराने का प्रयासरत हम हमेशा करेंगे।
सचिव कु. डिम्पल के द्वारा अवगत कराया गया कि उक्त अभियान का उद्घाटन माननीय सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश और नालसा के कार्यकारी अध्यक्ष माननीय न्यायमूर्ति श्री संजीव खन्ना ने किया। इस अभियान का उद्देश्य वर्तमान में जेल में बंद व्यक्तियों की पहचान करना होगा। जो अपराध घटित होने की तिथि पर नाबालिक विचारधीन बंदी या दोषी होने का दावा करते हैं। जिनके किशोर होने के आवेदन या दावा लंबित है या दर्ज नहीं किया गए है। जेल में बंद सभी विचारधीन बंदी या दोषी जो नाबालिक प्रतीत होते है या नाबालिक होने का दावा करते है जिनके किशोर होने के दावें और बालक देखरेख संस्थान सीसीआई में परिणामी स्थानांतरण के लिये आवेदन लंबित है या आवेदन नहीं किया गया है। जेल में बंद सभी व्यक्ति विचाराधीन बंदी या दोषी जिनकी उम्र जेल प्रवेश की तिथि पर जेल रिकार्ड के अनुसार 18 वर्ष से 22 के बीच थी, की स्क्रीनिंग की जाएगी। किशोर न्याय बालकों की देखरेख और संरक्षण अधिनियम 2015 का मुख्य उद्देश्य विधि से संघर्षरत बच्चों तथा देखभाल  और संरक्षण की आवश्यकता वाले बच्चों की बाल मैत्री प्रक्रिया के तहत् उनके सर्वोत्तम हितों को ध्यान में रखते हुये उनकी समुचित देखरेख, पुर्नवास, संरक्षण उपचार एवं विकास सुनिश्चित करना है। किशोर न्याय अधिनियम के अनुसार ऐसा कोई व्यक्ति जिसने 18 वर्ष की आयु पूर्ण नहीं की है, उसे बच्चा माना जाता है। किशोर न्याय बोर्ड के अनुसार बच्चों के मूलभूत अधिकारों और जरूरतों, पहचान, सामाजिक कल्याण, भौतिक भावनात्मक एवं बौद्धिक विकास के संबंध में लिये गये निर्णय को बच्चें का सर्वोत्तम हित माना जाता है।
नेहा वर्मा अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक कोरबा के द्वारा बताया गया कि उनके विभाग में बालिक एवं नाबालिक दोनों प्रकार के प्रकरण आते है पीड़ित पक्ष को हमारे द्वारा टारगेट करते है तथा पीड़ित पक्ष को न्याय दिलाने का हमेशा प्रयासरत रहते है। हमारे पास गरीब वर्ग के बच्चों के मध्यम हुए अपराध कायम होता है, जिसमें नाबालिक बच्चें और बच्चियॉं भी शामिल होते है। उसमें 11 से 15साल तक के केसेस में समक्ष में आ जाता है कि पूर्ण रूप से नाबालिक है परंतु 17 से और 18 से उपर के बच्ची या बच्चों के लिये सोचनीय विषय हो जाती है। हमारे द्वारा यही प्रयास किया जाता है कि यदि कोई गंभीर अपराधी नहीं है तो समझौता या आपसी सुलह से मामलें को खत्म करने का प्रयास किया जायें लेकिन गंभीर अपराध में मामला कायम कर न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करना हमारा ड्यूटी बन जाता है।
संदीप बिसेन बाल परीवीक्षा अधिकारी के द्वारा बताया गया कि जेल में निरूद्ध किशोर को नाबालिक पाये जाने की स्थिति में किशोर न्याय बोर्ड द्वारा अपाये जाने वाली प्रक्रियाओं के संबंध में जानकारी देते हुये कहा गया कि किशोर न्याय अधिनियम अंतर्गत देखरेख एवं संरक्षण तथ विधि से संघर्षरत बालकों के प्रावधानों के संबंध में विस्तृत जानकारी प्रदान की गयी।
डॉ. नागज्योति राठौर के द्वारा बताया कि नाबालिक बच्चांें जो 16 साल से कम उम्र के होते है, उनके साथ सकारात्मक व्यवहार अपनाये जाने पर वह दोबारा अपराध करने का प्रयास नहीं करेगा। 16 साल के कम उम्र के बच्चों को  दबाव में डालेगें तो वह मानसिक तनाव में चला जायेगा,  और आगे भी अपराध करते जायेगा।
जिला न्यायालय कोरबा के न्यायाधीश श्री जयदीप गर्ग, विशेष न्यायाधीश, एस्ट्रोसिजिट, डॉ. ममता भोजवानी, जिला अपर सत्र न्यायाधीश, पॉक्सो, सीमा प्रताप चन्द्रा, मुख्य न्यायिक मजि0 कोरबा, प्रतिक्षा अग्रवाल, व्यवहार न्यायाधीश वरिष्ठ श्रेणी कोरबा, मंजीत जांगडे, ऋचा यादव, लवकुमार लहरे, व्यवहार न्यायाधीश कनिष्ठ श्रेणी कोरबा,  नेहा वर्मा, अति. पुलिस अधीक्षक, कोरबा, एवं जिला अधिवक्ता संघ कोरबा के अध्यक्ष श्री गणेश कुलदीप, सचिव श्री नूतन सिंह, पुलिस विभाग कोरबा के थाना प्रभारी, डॉ. नागज्योति राठौर, बाल परिवीक्षा अधिकारी, श्री संदीप बिसेन एवं पैरालीगल वॉलीण्टियर्स उपस्थित थे।
कार्यालय जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कोरबा (छ0ग0)
क्रमांक/ क्यू  /जिविसेप्रा/2024/     कोरबा दिनांक 27.07.2024
प्रति:- उप संचालक, जिला जन संपर्क,  कार्यालय कोरबा को समाचार पत्रों में प्रकाशनार्थ प्रेषित।