रायपुर। भारतीय जनता पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष विष्णु देव साय ने उपमुख्यमंत्री टी.एस. सिंहदेव के उस बयान पर कटाक्ष किया है, जिसमें उपमुख्यमंत्री सिंहदेव ने सरगुजा संभाग के अपने दौरे में पार्टी के भीतर अपने ही विरोधियों पर निशाना साधते हुए कहा है कि राजा साहब और रानी माता के खिलाफ किसी भी तरह की टिप्पणी और उन पर जान को खतरे के लगाए गए आरोप पर कोई समझौता नहीं हो सकता। श्री साय ने सिंहदेव के उस बयान को भी कांग्रेस में मचे घमासान का परिचायक बताया है कि जिसमें स्थिति अनुकूल नहीं होने पर उत्तर छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सीटें आधी भी हो सकने की बात उपमुख्यमंत्री ने कही है।
भाजपा पूर्व प्रदेश अध्यक्ष श्री साय ने कहा कि कांग्रेस एकजुटता का चाहे जितना राग अलाप रही हो, लेकिन धरातल पर अब भी कांग्रेस पस्त है और कांग्रेस के नेता अपनी हार तयशुदा मानकर चल रहे हैं। कांग्रेस की अंतर्कलह का आलम यह है कि उपमुख्यमंत्री अब अपने राजनीतिक विरोधियों पर खुलकर हमला बोल रहे हैं और इसके बाद भी यदि विरोधियों को तवज्जो दी गई तो सिंहदेव साफ कर चुके हैं कि आगे क्या होगा, यह जनता जाने और पार्टी जाने, पर अब वे कोई समझौता नहीं करेंगे। श्री साय ने कहा कि बड़े बेमन से उपमुख्यमंत्री पद पर बैठे सिंहदेव की यह चेतावनी मुख्यमंत्री बघेल और उपमुख्यमंत्री सिंहदेव के रिश्तों की खटास को जाहिर कर रही है। शायद यही वजह है कि कांग्रेस के पौने पांच साल के कार्यकाल में सरगुजा संभाग के कुछ विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस पदाधिकारी व कार्यकर्ताओं ने भी सीधे विधायकों के खिलाफ ही मोर्चा खोल दिया है। सामरी एवं बैकुंठपुर विधानसभाओं में पूरा संगठन ही विधायकों के खिलाफ खड़ा है।
क्या कहा था टीएस सिंहदेव
सरगुजा संभाग की 14 विधानसभा सीटों को लेकर डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव ने कहा कि यहां संतुलन बैठ गया तो कम से कम 11 सीटें तक आ सकती हैं।स्थिति बहुत ज्यादा खराब हुआ और सब गड़बड़ रहा तो कम से कम 5-6 सीटें कांग्रेस की आएंगी। खराब में भी स्थिति आधी-आधी की रहेगी। गौरतलब हैं कि वर्ष 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली ऐतिहासिक जीत में डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव की अहम भूमिका मानी जाती हैं। वे चुनाव घोषणा पत्र समिति के अध्यक्ष भी थे। 2018 के चुनाव में सरगुजा संभाग में टीएस सिंहदेव के कारण सभी ने एकजुट होकर कांग्रेस के लिए चुनाव मैदान में उतरे थे। लेकिन सरकार बनने के बाद परिस्थितियां काफी बदली। इस दौरान कई विधायकों ने पाला भी बदल लिया। संभाग के संगठन में दशकों से सरगुजा राजपरिवार का कब्जा रहा है।