राशि मांगने की शिकायत पर प्रशासन सख्त, तीन सदस्यीय जांच दल गठित
कोरबा,03 दिसंबर 2025। सक्षम आंगनबाड़ी एवं पोषण 2.0 के तहत रेडी टू ईट एवं फोर्टिफाइड आटा आपूर्ति का कार्य शुरू होने से पहले ही चयन प्रक्रिया विवादों में घिर गया है। हरदीबाजार परियोजना में चयन के दौरान राशि मांगने और अपात्र समूह को लाभ दिलाने की शिकायत सामने आई है। शिकायत को गंभीर मानते हुए जिला प्रशासन ने तीन सदस्यीय जांच दल गठित कर दिया है। टीम को एक माह के भीतर जांच रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए गए हैं।
प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद स्थानीय महिला स्व-सहायता समूहों को रेडी टू ईट निर्माण व आपूर्ति का कार्य देने की प्रक्रिया शुरू की गई थी। पायलट प्रोजेक्ट के रूप में कोरबा सहित छह जिलों में समूहों का चयन किया गया। कोरबा जिले में दस परियोजनाओं के लिए अप्रैल माह में आवेदन आमंत्रित किए गए थे। सात सदस्यीय चयन समिति द्वारा परीक्षण के बाद प्रत्येक परियोजना के लिए एक-एक समूह का चयन किया गया था।
चयनित समूहों को आठ माह पूर्व आदेश जारी कर दिया गया था, लेकिन यूनिट स्थापना, स्वचालित मशीनों की खरीदी, प्रशिक्षण और सैंपल परीक्षण की प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाने से संचालन अभी तक शुरू नहीं हो सका है। संभावना जताई जा रही है कि यूनिटों का संचालन अब नए वर्ष 2026 में ही शुरू हो पाएगा।
इधर संचालन शुरू होने से पहले ही हरदीबाजार परियोजना में चयन प्रक्रिया पर सवाल उठने लगे हैं। आवेदिका संजीता पांडेय ने आरोप लगाया है कि समूह चयन में रकम की मांग कर अनियमितता की गई है। जिला स्तर पर संतोषजनक कार्रवाई न होने पर शिकायत प्रधानमंत्री कार्यालय तक भेजी गई है। शिकायत के संज्ञान में आते ही जिला पंचायत सीईओ ने जांच समिति गठित की है। समिति में आदिवासी विकास विभाग के सहायक आयुक्त श्रीकांत कसेर, समाज कल्याण विभाग के उप संचालक हरीश सक्सेना तथा जिला पंचायत की सहायक परियोजना अधिकारी इंदिरा भगत को शामिल किया गया है।
जांच आदेश 17 नवंबर को जारी किया गया है। एक माह की अवधि में प्रतिवेदन प्रस्तुत करना है। आधी अवधि बीत चुकी है, ऐसे में जांच दल को शेष दिनों में मामले का परीक्षण कर रिपोर्ट तैयार करनी होगी। आदेश जारी होते ही संबंधित विभागों में हलचल बढ़ गई है।
रेडी टू ईट निर्माण का कार्य 1 फरवरी 2022 के पूर्व स्थानीय महिला स्व सहायता समूहों द्वारा संचालित किया जाता था। लेकिन शासन ने सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन का हवाला देते हुए इसे राज्य बीज निगम की स्वचालित इकाइयों को सौंप दिया था। इससे लगभग 20 हजार महिलाएं प्रभावित हुई थीं। सत्ता परिवर्तन के बाद सरकार ने इसे चरणबद्ध तरीके से फिर स्थानीय समूहों को लौटाने का निर्णय लिया और इसी क्रम में छह जिलों में चयन प्रक्रिया पूरी की गई।
चयन प्रक्रिया को लेकर पहले भी कई समूह आपत्ति दर्ज करा चुके हैं। कुछ समूहों ने आवंटन न मिलने पर न्यायालय तक की शरण ली है।
परियोजनावार चयनित समूह (कोरबा जिला)
कोरबा शहरी – मां तुलसी स्व-सहायता समूह, ढोढ़ीपारा
कोरबा ग्रामीण – सफुरा माता स्व-सहायता समूह, सलिहाभांठा
बरपाली – जय मां दुर्गा स्व-सहायता समूह, नोनबिर्रा
करतला – जय मां दुर्गा स्व-सहायता समूह, नोनबिर्रा
कटघोरा – जय दुर्गा स्व-सहायता समूह, मुढ़ाली
हरदीबाजार – जय मां दुर्गा महिला स्व-सहायता समूह, बोईदा
पाली – प्रगति स्व-सहायता समूह, रजकम्मा
पोंडी-उपरोड़ा – पार्वती स्व-सहायता समूह, सिंधिया
चोटिया – आदर्श महिला स्व-सहायता समूह, खिरटी
पसान – मां लक्ष्मी स्व-सहायता समूह, बैरा







