किसान समृद्धि का आधार – पशुपालन : कोरबा में 25 वर्षों की सुनहरी सफलता की कहानी

The foundation of farmer prosperity – Animal Husbandry: A golden success story of 25 years in Korba

स्वस्थ पशु, समृद्ध किसान – यही ग्रामीण विकास की पहचान“कोरबा 13 नवम्बर 2025/कृषि प्रधान देश भारत में ग्रामीण अर्थव्यवस्था सदियों से खेती पर आधारित रही है, किंतु समय के साथ यह स्पष्ट हो गया है कि किसान की समृद्धि केवल खेत की फसल पर निर्भर नहीं रह सकती। पशुपालन आज ग्रामीण आजीविका का दूसरा मजबूत स्तंभ बनकर उभरा है। दूध, गोबर, अंडे जैसे उत्पाद न केवल किसानों को अतिरिक्त आय देती है, बल्कि ग्रामीण उद्योगों और जैविक खेती को भी नई दिशा प्रदान करती है।
पशुपालन से जुड़ी गतिविधियाँ जैसे दुग्ध उत्पादन, डेयरी प्रसंस्करण और गोबर से जैविक खाद या बायोगैस निर्माण, ग्रामीण अर्थव्यवस्था को स्थायित्व दे रही हैं। इससे किसानों को सालभर आय के अवसर मिल रहे हैं और रोजगार के नए रास्ते खुल रहे हैं। खेत में मेहनत करने वाले हाथों तभी सशक्त बनते हैं जब उनके पास स्वस्थ और उत्पादक मवेशी हो, इसी सोच को साकार करते हुए कोरबा जिले के पशु चिकित्सा सेवाएँ विभाग ने पिछले 25 वर्षों (2000 से 2025) में ऐसी उपलब्धियाँ हासिल की हैं, जिन्होंने न केवल पशुपालन की दिशा बदली बल्कि किसानों की आय बढ़ाने में भी अहम भूमिका निभाई। पशु चिकित्सा सेवाओं विभाग ने योजनाओं के माध्यम से न केवल पशुओं का उपचार किया बल्कि किसानों के जीवन में नई ऊर्जा का संचार किया है।

कोरबा 13 नवम्बर 2025/कृषि प्रधान देश भारत में ग्रामीण अर्थव्यवस्था सदियों से खेती पर आधारित रही है, किंतु समय के साथ यह स्पष्ट हो गया है कि किसान की समृद्धि केवल खेत की फसल पर निर्भर नहीं रह सकती। पशुपालन आज ग्रामीण आजीविका का दूसरा मजबूत स्तंभ बनकर उभरा है। दूध, गोबर, अंडे जैसे उत्पाद न केवल किसानों को अतिरिक्त आय देती है, बल्कि ग्रामीण उद्योगों और जैविक खेती को भी नई दिशा प्रदान करती है।
पशुपालन से जुड़ी गतिविधियाँ जैसे दुग्ध उत्पादन, डेयरी प्रसंस्करण और गोबर से जैविक खाद या बायोगैस निर्माण, ग्रामीण अर्थव्यवस्था को स्थायित्व दे रही हैं। इससे किसानों को सालभर आय के अवसर मिल रहे हैं और रोजगार के नए रास्ते खुल रहे हैं। खेत में मेहनत करने वाले हाथों तभी सशक्त बनते हैं जब उनके पास स्वस्थ और उत्पादक मवेशी हो, इसी सोच को साकार करते हुए कोरबा जिले के पशु चिकित्सा सेवाएँ विभाग ने पिछले 25 वर्षों (2000 से 2025) में ऐसी उपलब्धियाँ हासिल की हैं, जिन्होंने न केवल पशुपालन की दिशा बदली बल्कि किसानों की आय बढ़ाने में भी अहम भूमिका निभाई। पशु चिकित्सा सेवाओं विभाग ने योजनाओं के माध्यम से न केवल पशुओं का उपचार किया बल्कि किसानों के जीवन में नई ऊर्जा का संचार किया है।

सेवा और समर्पण से बदली तस्वीर

वर्ष 2000 में जहाँ विभाग की गतिविधियाँ सीमित दायरे में थीं, वहीं 2025 तक कोरबा जिले के लगभग हर गाँव तक पशु चिकित्सा सेवाओं की पहुँच बन चुकी है। पशु उपचार की संख्या 28 हजार 822 से बढ़कर 95 हजार 097 तक पहुँच गई है, औषधि वितरण में भी उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज किया गया है, वर्ष 2000 के 26 हजार 766 से बढ़कर वर्ष 2025 में 95 हजार 550 हो गई है।
विभाग ने पशुधन की उत्पादकता बढ़ाने के लिए कृत्रिम गर्भाधान पर विशेष ध्यान दिया। जिले मे वर्ष 2000 में जहाँ मात्र 57 कृत्रिम गर्भाधान हुए थे, वहीं 2025 में यह संख्या बढ़कर 20 हजार 481 तक पहुँच गई। वत्सोपादन 71 से बढ़कर 05 हजार 227  की गई है। यह वृद्धि बताती है कि अब किसान उन्नत नस्लों के माध्यम से बेहतर दूध उत्पादन की ओर अग्रसर हैं। बधियाकरण में भी भारी प्रगति दर्ज करते हुए 05 हजार 049 से बढ़कर 20 हजार 201  हो गई है। वर्तमान में डीटीकिंग 67 हजार 197 एवं कृमिनाशक दवापान 60 हजार 697 की गई है।

रोगमुक्त पशुधन की दिशा में ऐतिहासिक प्रगति

पशुओं को रोगों से बचाने के लिए बड़े पैमाने पर टीकाकरण अभियान चलाए गए है। वर्ष 2000 में केवल 1.16 लाख टीकाकरण हुए थे,  2025 में यह संख्या बढ़कर  13 लाख 78 हजार 129 तक पहुँच गई। यह उपलब्धि जिले को रोगमुक्त पशुधन क्षेत्र बनाने की दिशा में बड़ा कदम है।

व्यक्तिमूलक योजनाओं की उपलब्धियाँ
 कुक्कुट और बकरी पालन से ग्रामीणों को मिला नया सहारा

ग्रामीण किसानों की आय बढ़ाने और आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से पशुपालन विभाग ने कई योजनाएँ संचालित की हैं। विभाग  की बैकयार्ड कुक्कुट इकाई वितरण  योजनांतर्गत वर्ष 2025 तक 550 इकाइयाँ वितरित की जा चुकी हैं। नर बकरा वितरण भी बढ़कर 55  तक पहुँच गया है। वर्ष 2025 तक विभाग द्वारा साँड वितरण 12, उन्नतमादा वत्स पालन 41, राज्य डेयरी उद्यमिता विकास योजना से  61 हितग्राही, राज्य पोषित बकरी उद्यमिता विकास योजना से  1 एवं राज्य पोषित कुक्कुट पालन प्रोत्साहन  योजना से 3 हितग्राहियों को लाभान्वित किया गया है। इन योजनाओं ने ग्रामीण पशुपालकों को विकास की नई दिशा दी है। पशुपालक मित्र योजना के माध्यम से हितग्राहियों को 11 लाख  तक कि राशि से लाभान्वित किया गया है। जिससे ग्रामीण परिवारों, विशेषकर महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने में मदद मिली है।

ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई ऊर्जा

इन योजनाओं और प्रयासों का सीधा असर किसानों की आर्थिक स्थिति पर देखा जा सकता है। बेहतर उपचार, टीकाकरण और नस्ल सुधार से दुग्ध उत्पादन बढ़ा है, जिससे किसानों को बाजार में अच्छा मूल्य प्राप्त हो रहा है।
आज  जिले के किसान केवल कृषि पर निर्भर नहीं, बल्कि पशुपालन से भी