श्री हित सहचरी सेवा समिति ने किया हनुमान चालीसा का 108 बार पाठ – आस्था और एकता का अद्वितीय संगम बना आयोजन

Shri Hit Sahachari Seva Samiti recited Hanuman Chalisa 108 times – the event became a unique confluence of faith and unity

कोरबा। श्रद्धा, सेवा और सामूहिक भक्ति का अनूठा उदाहरण पेश करते हुए श्री हित सहचरी सेवा समिति द्वारा हनुमान जन्मोत्सव के पावन अवसर पर 108 बार हनुमान चालीसा का पाठ संपन्न कराया गया। इस भव्य धार्मिक आयोजन में समिति की सक्रिय सदस्यों ने नारीशक्ति की संगठित भावना के साथ भाग लिया और प्रभु श्री हनुमान के चरणों में अपनी आस्था अर्पित की।

आस्था और भक्ति से गुंजायमान हुआ वातावरण
यह आयोजन न केवल धार्मिक श्रद्धा से ओतप्रोत था, बल्कि सामाजिक एकजुटता और नारीशक्ति की संगठित ताकत का भी उदाहरण बना। समिति की सदस्यों द्वारा स्वरबद्ध रूप में सामूहिक पाठ से माहौल में आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार हुआ। चालीसा पाठ के प्रत्येक चरण के साथ भक्तों का मन प्रभु भक्ति में और अधिक लीन होता गया।

समिति की सक्रिय भागीदारी
आयोजन में मुख्य भूमिका निभाने वालीं समिति की प्रमुख सदस्य मंजूलता के साथ-साथ नीलू राय, श्वेता राय, मीनाक्षी शर्मा, राजश्री पांडे, मीना ठाकुर, निव्या विनायक, श्वेता दुबे, प्रियंका सिन्हा, श्रद्धा कर्मी, रजनी श्रीवास्तव (शाह आंटी), भावना स्वर्णकार, पटेल आंटी, सलिका गोयल, प्रियंका वर्मा, मीनू पांडे, नेहा सिन्हा, किरण सिंह, विनीता सिंह, अंजना सिंह, अंशु सिंह, कविता, मेघा उपाध्याय, अर्चना सिंह, मीणा वनाफर, राजेश्वरी, दमयंती सिंह, गीता वरवली, गुड़िया सिंह, कुसुम, प्रभा नायक, आभा प्रसाद, राम उपाध्याय, रीना दुबे, रूप मन्नार, रानी जयसवाल और तुलसी जैसी अनेक महिलाओं की प्रेरणादायी सहभागिता रही।

भक्ति के साथ सेवा का भाव भी रहा समाहित
सिर्फ भक्ति नहीं, इस आयोजन में सेवा और समर्पण का भाव भी स्पष्ट रूप से दिखाई दिया। हनुमान चालीसा के 108 बार सामूहिक पाठ के माध्यम से श्री हनुमानजी के प्रति आस्था प्रकट करते हुए समाज में सकारात्मक ऊर्जा और एकता का संदेश भी दिया गया।

उद्देश्य – आस्था के माध्यम से सामाजिक समरसता
श्री हित सहचरी सेवा समिति का यह आयोजन इस बात को सिद्ध करता है कि जब महिलाएं एकजुट होकर किसी उद्देश्य के लिए कार्य करती हैं, तो न केवल धार्मिक चेतना जागृत होती है, बल्कि समाज में एकता, सहयोग और प्रेरणा का वातावरण भी निर्मित होता है।

नारीशक्ति की श्रद्धा और सेवा का अनुपम उदाहरण
इस अवसर ने यह भी सिद्ध किया कि नारीशक्ति सिर्फ परिवार की रीढ़ नहीं, समाज की आध्यात्मिक शक्ति भी है। समिति की महिलाओं ने न सिर्फ आयोजन को सफल बनाया बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भक्ति और एकजुटता की मिसाल भी कायम की।