रायपुर,11 जनवरी 2025। छत्तीसगढ़ कांग्रेस कमेटी ने अपने पार्षदों के लिए एक फरमान जारी किया है। कांग्रेस पार्षदों को अगले चुनाव में टिकट के लिए दावेदारी करने से पहले पांच महीने की तनख्वाह जमा करानी होगी। PCC ने सभी कांग्रेस पार्षदों को राशि जमा कराने के लिए पत्र जारी कर दिया है।
राज्य में सत्ता से बाहर होने के बाद कांग्रेस के मौजूदा पार्षदों के लिए प्रदेश कांग्रेस कमेटी (पीसीसी) का नया निर्देश असहज करने वाला साबित हो रहा है। पीसीसी ने पार्षद पद के इच्छुक मौजूदा सदस्यों के लिए दावेदारी की शर्तों में बड़ा बदलाव करते हुए उनकी सैलरी का हिस्सा पार्टी फंड में जमा करने का आदेश दिया है।
पार्षदों को जमा करनी होगी पांच महीने की सैलरी
पीसीसी ने प्रदेश के जिला और शहर कांग्रेस कमेटियों को निर्देश दिया है कि जो मौजूदा पार्षद निकाय चुनाव लड़ने के इच्छुक हैं, उन्हें दावेदारी के समय अपनी पांच महीने की सैलरी पार्टी फंड में जमा करनी होगी। राज्य सरकार द्वारा दिए गए वेतनमान के अनुसार, पांच महीने की सैलरी लगभग 55,000 रुपये होती है।
पीसीसी का तर्क: संगठन की आर्थिक मजबूती
पीसीसी ने अपने पत्र में डॉ. मनमोहन सिंह कमेटी के निर्णय का हवाला देते हुए कहा है कि पार्टी संगठन को आर्थिक रूप से मजबूत करने के लिए प्रति वर्ष एक महीने की सैलरी, यानी कुल पांच साल के कार्यकाल के लिए पांच महीने की सैलरी पार्टी फंड में जमा करना अनिवार्य है। यह व्यवस्था वर्ष 2019-20 से लागू है।
दावेदारी के साथ सैलरी जमा करना अनिवार्य
शहर कांग्रेस कमेटी के महामंत्री और प्रवक्ता ऋषि पांडेय ने शुक्रवार को कांग्रेस भवन में दावेदारी करने पहुंचे पार्षदों को यह निर्देश स्पष्ट किया। उन्होंने कहा कि दावेदारी का आवेदन पत्र तभी स्वीकार किया जाएगा जब मौजूदा पार्षद सहयोग राशि जमा करेंगे। इस घोषणा से कई पार्षद असमंजस और चिंता में दिखे।
पार्षदों के लिए झटका, पीसीसी का नजरिया अलग
पार्षदों के लिए यह निर्देश किसी झटके से कम नहीं है, जबकि पीसीसी का मानना है कि यह पार्टी संगठन को मजबूत करने का मामूली कदम है। पार्टी पदाधिकारियों ने कहा कि पांच साल के कार्यकाल में पांच महीने की सैलरी का योगदान बड़ी राशि नहीं है।
पीसीसी ने राशि जमा कराने के बाद जानकारी मांगी
पीसीसी ने जिला और शहर कांग्रेस कमेटियों से कहा है कि सहयोग राशि जमा कराने के बाद इसकी जानकारी प्रदेश कांग्रेस कमेटी को दी जाए। इसके साथ ही, यह सुनिश्चित करने को कहा गया है कि मौजूदा पार्षद बिना राशि जमा किए दावेदारी न कर सकें।
इस निर्देश के बाद पार्टी के भीतर मिश्रित प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। पार्षद जहां इसे वित्तीय बोझ मान रहे हैं, वहीं पार्टी इसे संगठन की मजबूती का हिस्सा बता रही है।