अब न धुंआ उठता है, न आँख जलते हैं, स्कूल, आंगनबाड़ी में समय पर चूल्हा जलते हैं

Now neither smoke rises nor eyes burn, stoves are lit on time in school and Anganwadi

आंगनबाड़ी केंद्रों और स्कूल,आश्रमों में मिली धुँए से मुक्ति
लकड़ी की जगह गैस से पकता है नाश्ता और खाना

कोरबा 10 दिसम्बर 2024/ कुछ माह पहले तक जिले के अन्तिमछोर के ग्राम डोकरमना की प्राथमिक शाला में विद्यार्थियों के लिए खाना पकाने वाली कामता बाई को चूल्हा जलाने के लिए न जाने क्या से क्या मशक्कत नहीं करनी पड़ती थी। पहले सूखी लकड़ियों का इंतजाम फिर उसे फूंक मार-मार कर जलाना और जलते हुए लकड़ी का फिर से बुझ जाने पर छोटे से कमरे में भरे हुए धुँए के बीच आँखों से आसुंओं को बहाते हुए कभी आँसू पोछना तो कभी कड़ाही पर करछुल चलाना पड़ता था। बात यहीं तक ही सीमित नहीं थीं। चूल्हा जले या बुझे..खाना समय पर बनाकर तैयार करना भी जरूरी होता था, क्योंकि स्कूल तो अनुशासन से चलता है। क्लास लगने से लेकर नाश्ते और भोजन का समय भी निर्धारित है। ऐसे में कामता बाई भूल कर भी इधर से उधर नहीं कर सकती थीं,

क्योंकि उन्हें तो समय पर खाना बनाना और परोसना भी जरूरी था। ऐसे में किचन में लकड़ी के धुँए से आँखों को जलाते हुए कामता बाई अक्सर खाना बनाती आ रही थीं। उन्हें यह काम मुसीबत भरा तो लगता था, लेकिन उनकी यह मजबूरी भी थी कि ऐसी ही परिस्थितियों में अपना काम करें। यह कहानी सिर्फ रसोइए कामता बाई की ही नहीं थीं बल्कि जिले के सभी स्कूल,आंगनबाड़ी केंद्रों और आश्रमों में खाना पकाने वाले रसोइयों का दुःख-दर्द भी था, जो कि अब बीते दिनों की बात हो गई है। मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय के निर्देश पर जिला प्रशासन द्वारा जिले के सभी आंगनबाड़ी, आश्रमों, छात्रावासों और प्राइमरी तथा मिडिल स्कूलों में नाश्ता, भोजन पकाने के लिए चूल्हें में लकड़ी की जगह गैस सिलेंडर की व्यवस्था की गई है। अब गैस से नाश्ता और भोजन पकाए जाने से रसोइयों को लकड़ी का इंतजाम करने, धुँए को सहते हुए आँसू बहाने और आँख जलाने से छुटकारा मिल गई है।
      जिले में संचालित सभी प्राथमिक शाला,माध्यमिक शाला,आंगनबाड़ी केंद्र और आश्रम-छात्रावास में बीते माह से गैस सिलेंडर के माध्यम से भोजन पकाने की प्रक्रिया जारी है। जिले में कुल 2598 आंगनबाड़ी केंद्र है,जिसमें 2095 केंद्रों में जलाऊ लकड़ी से चूल्हें जलाकर खाना पकाया जाता था। इसी तरह 189 आश्रम-छात्रावासों और 2030 विद्यालयों में भी गैस की व्यवस्था नहीं थी। यहाँ लड़की जलाकर चूल्हे से खाना बनता था। इस दौरान भोजन पकाने वाली रसोइयों को किचन में धुँए से बहुत परेशानी उठानी पड़ती थी। कई बार जलाऊ लकड़ी उपलब्ध नहीं होने या बारिश के दिनों में लकड़ी गीली होने की वजह से भी खाना समय पर नहीं बन पाता था। लकड़ी भीगी होने से ठीक से जलती भी नहीं थी और किचन का कमरा धुँए से भर जाता था। इससे रसोईये सहित आंगनबाड़ी के बच्चों,स्कूली विद्यार्थियों के सेहत पर भी विपरीत असर पड़ता था। मुख्यमंत्री के दिशा निर्देशन में कलेक्टर ने इस समस्या को दूर करने की दिशा में बड़ा फैसला लेते हुए आंगनबाड़ी केंद्रों, प्राइमरी, मिडिल स्कूलों और आश्रम-छात्रावासों में गैस सिलेंडर कनेक्शन देने की पहल की। उन्होंने नए कनेक्शन और इसके रिफलिंग के लिए डीएमएफ से राशि स्वीकृत की। परिणाम स्वरूप अब भोजन पकाने के लिए जलाऊ लड़की के स्थान पर गैस का इस्तेमाल किया जाने लगा है। इस व्यवस्था से जहाँ लकड़ी की जरूरत नहीं होगी वहीं ईंधन के रूप में गैस का इस्तेमाल होने से धुँए से भी राहत मिलेगी। पोड़ी उपरोड़ा ब्लॉक के सीमावर्ती ग्राम पतुरियाडाँड़ आंगनबाड़ी केंद्र में बच्चों के लिए भोजन पकाने वाली कार्यकर्ता और सहायिका रामबाई, रूप कुंवर ने बताया कि लड़की से चूल्हा जलाने में परेशानी तो है। समय पर बच्चों को भोजन के लिए पहले से ही चूल्हा जलाना जरूरी है। इस बीच धुँए से अलग तकलीफ है। अब गैस से भोजन पकाने में सभी को राहत मिलेगी। जब भोजन पकाना होगा, बस गैस ऑन करना होगा और बर्तन भी काले नहीं होंगे,भोजन भी जल्दी पकेगा। ग्राम मोरगा के जुनापारा आंगनबाड़ी केंद्र की कार्यकर्ता ऊषा जायसवाल ने बताया कि उनके केंद्र में 30 बच्चे हैं। आंगनबाड़ी में गैस मिलने खाना पकाना बहुत आसान हो गया है। यहाँ प्राथमिक शाला में भोजन पकाने वाली संतोषी स्व सहायता समूह की महिलाओं ने बताया कि नाश्ता, भोजन  के लिए लकड़ी का इंतजाम करना आसान नहीं है। बहुत कोशिश के बाद लकड़ी जलती है और बीच-बीच में बुझ जाती है,जिससे कमरे में धुँए भर जाते हैं। आसपास बच्चे भी रहते हैं, उन्हें भी बहुत परेशानी उठानी पड़ती है। अब गैस से भोजन पकाने से इन समस्याओं से राहत मिलेगी। पाली विकासखंड के ग्राम निरधी बेलपारा में संचालित प्राथमिक शाला में जागृति स्व सहायता समूह की राजकुमारी कश्यप ने बताया कि लकड़ी से चूल्हा जलाना जद्दोजहद से कम नहीं है। गैस की व्यवस्था होने से अब बस समय पर सब्जी साफ करना,काटना पड़ता है। गैस से खाना झटपट बन जाता है। कमरे में धुँए भी नहीं भरते और आँख से आँसू भी नहीं बहता।