कोसा उत्पादन के लिए मनरेगा से तैयार किए गए 2 लाख 95 हजार अर्जुन के पौधे

2 lakh 95 thousand Arjun plants prepared by MNREGA for cocoon production

जिले की 06 नर्सरी में मनरेगा श्रमिकों ने तैयार किए पौधे

ग्रामीणों की आर्थिक स्थिति हो रही मजबूत

7500 मानव दिवस सृजित किए गए

कोरबा 27 नवंबर 2024/ महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना से कोरबा जिला में रेशम विभाग की सहायता से टसर कोसाफल उत्पादन के लिए 06 नर्सरी तैयार की गई हैं। जिसमें मनरेगा श्रमिकों के द्वारा 02 लाख 95 हजार 200 पौधे तैयार किए गए हैं। नर्सरी तैयार करने से 7500 मानव दिवस सृजित किए गए हैं। मनरेगा से नर्सरी तैयार करने से ग्रामीणों को गांव में रोजगार के अवसर मिलने से उनका आजीविका संवर्धन तो हुआ ही इसके साथ ही उनकी आर्थिक और सामाजिक स्थिति भी मजबूत हो रही है।


कोरबा जिला टसर कोसाफल उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है। जिले के दूरस्थ जंगलों में निवास करने वाले ग्रामीणों के द्वारा कोसा उत्पादन के लिए कृमिपालन का कार्य किया जाता है। कोसा उत्पादन ग्रामीणों की अतिरिक्त आय का जरिया है। जिले में कोसाफल उत्पादन के लिए वर्ष में तीन फसलें ली जाती हैं। पहली फसल का उत्पादन जून में बरसात लगने पर प्रारंभ हो जाता हैं, यह फसल 40 दिन में पूरी हो जाती है। इसी प्रकार माह अगस्त एवं सितम्बर में द्वितीय फसल एवं अक्टूबर में तृतीय फसलें प्रारंभ की जाती है। वर्ष 2023-24 में स्वीकृत नर्सरी सह पौधरोपण कार्य के तहत कोसा बीज केंद्र करतला में 15 हेक्टेयर भूमि के लिए 73,800 अर्जुन पौधे, कोसा बीज केंद्र चोरभट्ठी में 05 हेक्टेयर भूमि के लिए 24,600 पौधे, कोसा बीज केंद्र कुदरीखार कोरबा में 10 हेक्टेयर भूमि के लिए 49,200 पौधे, कोसा बीज केंद्र कुदमुरा में 10 हेक्टेयर भूमि के लिए 49,200 पौधे, कोसाबीज केंद्र जिल्गा में 10 हेक्टेयर भूमि के लिए 49,200 पौधे और कोसा बीज केंद्र तिवरता पाली में 10 हेक्टेयर भूमि के लिए 49,200 अर्जुन पौधे तैयार किए गए हैं। इस प्रकार जिले की 06 नर्सरी में 60 हेक्टेयर भूमि में कोसा फल उत्पादन के लिए 2,95,200 अर्जुन पौधे तैयार किए गए, जिसमें से 01 लाख 64 हजार से ज्यादा पौधों का रोपण किया जा चुका है।


मनरेगा से नर्सरी तैयार करने में ग्रामीणों को स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर मिल रहे हैं, जिससे उनका आजीविका संवर्धन के साथ ही आर्थिक विकास हो रहा है। नर्सरी में कार्य करने से 7500 मानव दिवस सृजित किए गए हैं। इस कार्य में 75 परिवारों को 100 दिवस का रोजगार मिला है। जिल्गा नर्सरी में कार्य करने वाले श्रमिक वीर सिंह, कृष्णा, तीजकुंवर, रामविलास, धर्मी बाई ने बताया कि मनरेगा योजना से ग्रामीणों को गांव में ही रोजगार तो मिला ही, इसके साथ ही गांवो में पंचायत भवन, आंगनबाड़ी भवन निर्माण होने से ग्रामों का विकास हो रहा है। साथ ही नर्सरी और पौधरोपण से पर्यावरण सुरक्षा के महत्वपूर्ण कार्य किए जा रहे हैं। मनरेगा ग्रामीणों के लिए वरदान साबित हो रही है।

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