विश्व पुस्तक दिवस पर किताबों का खूबसूरत संसार पर संवाद,
गुलाम मोहम्मद कासिर का एक शेर है- ‘बारूद के बदले हाथों में आ जाए किताब तो अच्छा हो/ ऐ काश हमारी आंखों का इक्कीसवां ख्वाब तो अच्छा हो.’ शायर का यह आशाओं से भरा ख्वाब है तो इक्कीसवीं सदी के लिए ही, मगर आज यानी 23 अप्रैल को मनाए जा रहे वर्ल्ड बुक डे यानी विश्व पुस्तक दिवस पर
बिलासपुर/ विद्या भारती ने 23 अप्रैल को विश्व पुस्तक दिवस पर संवाद किया।
सरस्वती शिक्षा संस्थान के अध्यक्ष कोरबा निवासी श्री जुड़ावन सिंह ठाकुर ने किताब पढ़ने को साधना बताया ।परंपरागत ऑफलाइन पुस्तकों की पढ़ाई ज्यादा कारगर है। पुस्तक पढ़ने से कुछ रोज नया सीखने की आदत बनती है। पुस्तकों का संरक्षण सुरक्षा को प्रोत्साहित करना चाहिए। जिससे कि गरीब वर्ग के पेरेंट्स को लिए महंगी किताबें खरीदने की चिंता से मुक्ति मिल सके। किताब पढ़ने का असली आनंद आफलाइन परंपरागत है।सशिसं के संस्कार श्रीवास्तव ने बताया कि विद्या भारती की बालमन को छूने वाली पुस्तकें जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकती हैं।