कोरबा। भारतीय संस्कृति विश्व की सर्वश्रेष्ठ गरिमापूर्ण संस्कृति है जिसमें हास्य विनोद मजाक भी शालीनता के साथ मनोरंजन संयुक्त तनाव को समाप्त करने वाला होता है। लेकिन अप्रैल फूल के नाम पर लोगों को मूर्ख बनाया जाना। यह कतई भारतीय संस्कृति का हिस्सा नहीं होना चाहिए। लिहाजा हमको अप्रैल फूल नहीं मानना चाहिए।
सामाजिक विषयों के क्षेत्र में ऑनलाइन एक्टिव संस्कार थिंक टैंक में प्रदेश के सभी लोगों से अपील की है। यह समूह व्हाट्सएप फेसबुक ट्विटर सोशल मीडिया के माध्यम से भारतीय संस्कृति के समर्थन में अपील कर रहा है। संस्कार थिंक टैंक के प्रमुख संस्कार श्रीवास्तव ने बताया कि हर साल होली पर भारतीय समाज के द्वारा महामूर्ख सम्मेलन किया जाता है। जो एक स्वस्थ परंपरा है। सभी गिले शिकवे दूर हो जाते हैं। यह परंपरा लोगों के अहंकार को कम करते हुए उनके व्यक्तित्व के सर्वांगीण विकास में सकारात्मक सोच को अपना आती है।
लेकिन पिछले कुछ वर्षों में देखा गया है कि अप्रैल फूल के नाम पर लोग एक दूसरे को बेवकूफ बनाकर न केवल उनका समय बर्बाद करते हैं बल्कि मूर्ख बनने वाले लोगों की भावनाएं भी आहट होती हैं। यह किसी के लिए विवाद का कारण बन सकता है। इसलिए अंग्रेजी संस्कृति वाली मानसिकता से ओतप्रोत ऐसे फुहड़ मज़ाक को हमें समर्थन नहीं देना चाहिए। बता दें कि इस साल 14 फरवरी को मातृ पितृ पूजन दिवस मनाने के लिए इस समूह ने मुख्यमंत्री से पर्सनली गुजारिश की थी जिसकी वजह से इस साल वैलेंटाइन डे का माहौल भी देखने को नहीं मिला और यह भारतीय संस्कृति के लिए काफी सराहनीय पहल रही।