बिलासपुर,14 मार्च । मौसम में बदलाव आ चुका है। तेज गर्मी पड़ने लगा है। गर्मी की वजह से अब चिकनपाक्स के मामले सामने आने लगे हैं। हालांकि स्वास्थ्य विभाग की ओर से चिकनपाक्स की बीमारी पर पूरी तरह नियंत्रण का दावा किया जा रहा है, लेकिन शहर के सिम्स व जिला अस्पताल के साथ ही अन्य निजी अस्पताल में लगातार इनके मरीज मिल रहे। बच्चों के साथ बड़े भी इसके चपेट में आ रहे है।
गर्मी का मौसम अपने साथ तरह – तरह की बीमारियों को लेकर आता है। मौसमी बीमारी, डेंगू, मलेरिया के बाद अब चिकनपाक्स की बीमारी ने भी दस्तक दे दी है। जानकारी के मुताबिक इसे जल्द ही नियंत्रण में नहीं किया गया तो इसके मामले बढ़ भी सकते हैं। चिकित्सकों के मुताबिक यह छूत की बीमारी है जो रोगी के संपर्क में आने से और रोगी के छींकने या उसे छूने से फैलती है। बच्चे कुछ खाते समय हाथ-पैर साफ नहीं करते हैं, ऐसे में बच्चों में इस रोग के लक्षण ज्यादा सामने आते हैं। मामलो को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने अधिकारियों को अलर्ट मोड में कर दिया है, जिस भी क्षेत्र में ज्यादा मामले आते है तो नियंत्रण कार्य चालू कर दिया जाएगा।
चिकनपाक्स के यह है लक्षण
- रोगी को शुरुआती दौर में खांसी व जुकाम होता है। एक-दो दिन बाद पूरे शरीर में लाल चकत्ते होने लगते हैं।
- चकत्ते छालों का रूप लेने लगते हैं। छालों से पानी जैसा तरल पदार्थ निकलता है।
- छाले पूरे शरीर में कहीं पर भी हो सकते हैं। हथेलियों से लेकर मुंह तक ऐसा संभव है।
- मरीज को हल्का बुखार रहता है।
- रोग बढ़ जाए तो निमोनिया हो जाता है।
- कुपोषित बच्चों व एड्स से संक्रमित मरीजों में यह बीमारी अधिक बढ़ती है।
क्या करें या क्या न करें
- संक्रमित मरीज के संपर्क में नहीं आएं।
- मरीज के बर्तनों व कपड़ों खासकर तौलिए को अलग रखें।
- शरीर पर होने वाले छालों को गलती से भी न छुएं। हाथ लग भी जाए तो साबुन या डेटॉल से हाथ साफ करें।
- डिस्प्रीन नामक दवा का प्रयोग कतई नहीं करें।
चिकनपाक्स के उपचार और रोकथाम
इस रोग में एसाइक्लोविर दवा का प्रयोग करना चाहिए। साथ ही बुखार के लिए पेरासिटामोल और खुजली के लिए सिट्राजिन दवा व केलामिन लोशन का इस्तेमाल करना चाहिए। एसाइक्लोविर दिन में पांच बार, पेरासिटामोल बुखार होने पर तथा केलामिन लोशन का सुबह व शाम को लेप करना चाहिए।