प्रदेश में अब वर्ष में दो बार होंगी 10वीं-12वीं की बोर्ड परीक्षाएं, इसी सत्र से लागू होगा नया नियम

रायपुर,01 फरवरी । छत्‍तीसगढ़ में अब 10वीं-12वीं की बोर्ड परीक्षा वर्ष में दो बार होगी। छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल ने इसका प्रारूप तैयार कर लिया है। पहली बोर्ड परीक्षा में प्राप्त नंबरों से असंतुष्ट विद्यार्थी दूसरी बोर्ड परीक्षा दे सकेंगे। जिस परीक्षा में सबसे ज्यादा अंक होंगे, वही बोर्ड की परीक्षा मानी जाएगी। यह इसी सत्र से लागू होगा। पूरक परीक्षा बंद हो जाएगी।

बोर्ड के अधिकारियों ने बताया कि एक सत्र में दो बार बोर्ड परीक्षा करवाने की अधिसूचना माशिमं फरवरी में जारी कर सकता है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत वर्ष में दो बार परीक्षा लेने का प्रवधान है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पहली परीक्षा एक मार्च से शुरू होगी। दूसरी परीक्षा जून के अंतिम सप्ताह अथवा जुलाई में हो सकती है। अभी तक केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) इसे लागू नहीं कर पाया है। संभवत: अगले सत्र से लागू करेगा।

प्रश्नपत्र और उत्तर-पुस्तिका छपने का काम शुरू
एक मार्च से शुरू होने वाली बोर्ड परीक्षाओं के लिए प्रश्नपत्र और उत्तर-पुस्तिकाओं की छपाई शुरू हो गई है। बोर्ड की तरफ से उत्तर-पुस्तिकाओं का वितरण 10 या 12 फरवरी से शुरू कर दिया जाएगा। पहले हर जिले में बने समन्वय केंद्रों में परीक्षा सामाग्री भेजी जाएगी। यहीं से स्कूलों को सामाग्री वितरित की जाएगी। प्रदेश में 34 समन्वय केंद्र बनाए गए हैं। रायपुर जिले में दो और बाकी जिलों में एक-एक समन्वय केंद्र है। प्रश्नपत्रों का वितरण 24 फरवरी से शुरू होगा।

होली के पहले हो जाएंगी बोर्ड परीक्षाएं
10वीं-12वीं की बोर्ड परीक्षाएं होली से पहले हो जाएंगी। 12वीं की परीक्षा एक से 23 मार्च तक चलेगी, वहीं 10वीं की परीक्षा दो से 21 मार्च तक चलेगी।

2,400 से ज्यादा बनाए गए हैं परीक्षा केंद्र
प्रदेश में बोर्ड परीक्षाओं के लिए इस बार 2,400 से ज्यादा परीक्षा केंद्र बनाए गए हैं। अभी संवेदनशील परीक्षा केंद्रों की सूची नहीं जारी हुई है। पिछले वर्ष 50 से अधिक संवेदनशील केंद्र थे। ऐसे केंद्रों में परीक्षा के दौरान विशेष सतर्कता बरती जाती है। बोर्ड परीक्षा में इस बार सवा छह लाख परीक्षार्थी हैं।

पिछली बार की तुलना में छात्रों की संख्या कम हुई है। 12वीं में साइंस, कामर्स और आर्ट्स तीनों संकाय मिलाकर 70 हजार से अधिक विद्यार्थी कम हुए हैं। दरअसल कोरोना काल में 10वीं का परिणाम शत-प्रतिशत रहा, जिसकी वजह से पिछली बार 12वीं की परीक्षा देने वाले छात्रों की संख्या बढ़ गई थी। पिछली बार 12वीं में लगभग सवा तीन लाख छात्र थे। इस बार छात्रों की संख्या घटकर दो लाख 55 हजार है।