सामाजिक बहिष्कार और जुर्माने की प्रथा आज भी है कायम, यहां  बच्चों पर भी पड़ रही बहिष्कृत की काली छाया का असर…

कोरबा/समाज से बहिष्कृत करने और जुर्माना लगाने की प्रथा तमाम प्रयासों के बावजूद अब भी कायम है। आये दिन ऐसे मामले प्रकाश में आते हैं और पुलिस द्वारा कार्रवाई भी की जाती है। बावजूद इसके विभिन्न समाजों में इस तरह की प्रथा पर अंकुश नहीं लग पा रहा है। ऐसे ही

नगर निगम के वार्ड 45 डांडपारा में ज़रा सी बात पर समाज के गौटियाओं के द्वारा लोगों से जुर्माना लेना और उनके बनाए हुए कानून को नहीं मानने पर उन्हें समाज से बहिष्कृत कर दिया जा रहा है बहिष्कृत करने के बाद भी इस परिवार के सदस्यों से कोई अन्य व्यक्ति बातचीत की, उनके ऊपर भी अर्थदंड लगाया जाता है बहिष्कृत करने के बाद वह व्यक्ति ना किसी के दुख में शामिल हो सकता है और ना किसी की खुशी में और ना ही गांव वाले बहिष्कृत किए हुए व्यक्ति के सुख-दुख में शामिल हो सकते हैं इस गांव में वह व्यक्ति किसी से खरीदी बिक्री भी नहीं कर सकता मानो तो उसे गांव में उस व्यक्ति का हुक्का पानी बंद कर देना यह प्रथा आज की नही दशकों से चली आ रही तानाशाही परम्परा जिसे आज भी वार्ड के कुछ लोगों के द्वारा कायम रखा गया है


अभी एक महीने पूर्व से वार्ड के दो ग्रामीण शिव मंझवार, और छत्रपाल धनवार के परिवार समाज के ठेकेदारों के द्वारा बनाए कानून को ना मानकर खिलाफत की और बस्ती के किराना दुकान के बजाए पास खुले एक किराना दुकान से खरीदारी कर लिया इस कारण उसे बहिष्कृत कर दिया

बहिष्कृत जैसे काली छाया अब यहां के नादान बच्चों पर भी। असर पड़ रहा है.

शिव मंझवार ने बताया कि 12 दिसंबर को उनके पोते अंशु का जन्मदिन था, बच्चे के जन्मदिन में गांव के किसी भी बच्चों को नही जाने का फरमान रसोइया तारा बाई ने सभी के घर घर जाकर सुनाया तो गौटिया का फरमान मानकर एक भी बच्चा शिव मझवार के घर नही पहुंचा. बालक अंशु ने अपने माता पिता और बहनों के साथ ही रोते हुए सूनेपन में अपना जन्मदिन का केक काटा. बहिष्कृत होने से पहले अंशु के जन्मदिन अवसर पर गांव भर के बच्चों सहित बड़ो की भी भीड़ लगी रहती थी.

इसी तरह करीब तीन दशक से बहिष्कृत का दंश झेल रहे लाल बहादुर 6 वर्षीय पोती भी अपनी तोतली भाषा में कहती है कि मेरे लिए मम्मी पापा और दादा ही दोस्त है. इन्ही के साथ खेलती हूं, आंगनबाड़ी जाति हूं तो मेरे साथ कोई खेलने को तैयार और ना ही कोई बातचीत करता है. बच्ची की मां सूरज बताती हैं कि उनका परिवार बहुत दुखी है इसी तरह बहिष्कृत का दंश कब तक झेलना पड़ेगा, हमारे बाद हमारे बच्चों का क्या होगा ये सोचकर ही कलेजा सिहर उठता है.समाज के ठेकेदारों

समाज के ठेकेदारों के द्वारा नियम के खिलाफ बनाए गए बहिष्कृत की काली छाया का असर बड़ों के साथ अब बच्चों पर भी पड़ रहा है. बहिष्कार किए जाने से परेशान होकर दोनों ग्रामीण के परिवार ने प्रशासन पुलिस से लिखित शिकायत कर न्याय दिलाने व प्रताड़ित करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है.

बहिष्कृत जैसी गंभीर मामले की जांच में दर्री थाना प्रभारी रूपक शर्मा डांडपारा पहुंचकर सभी पक्ष से मिलकर मामले की जानकारी ली, उन्होंने कहा कि बयान के लिए सभी पक्ष को थाना पहुंचने का निर्देश दिया गया है. जो भी तथ्य सामने आयेंगे उस पर उचित कार्रवाई की जाएगी.